नई दिल्ली: चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) लद्दाख में खानाबदोशों का इस्तेमाल भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण करने के लिए कर रही है, जबकि भारतीय सेना ने अपने खानाबदोशों को चारागाह भूमि तक सीमित कर दिया है, जिससे स्थानीय लोगों के जीवन पर गंभीर असर पड़ रहा है। यह बात लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल ने रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को बताई है। लद्दाख हिल डेवलपमेंट काउंसिल के तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने मंगलवार को सिंह से मुलाकात की और स्थानीय लोगों के लिए चराई और अन्य सीमा विकास के मुद्दों के लिए अप्रतिबंधित पहुंच बनाने का आग्रह किया। मई 2020 में भारत और चीन के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास स्थानीय लोगों के जीवन पर गंभीर असर पड़ा है।
शिष्टमंडल के दो अन्य सदस्यों के साथ चुशूल के पार्षद कोंचोक स्टेनजिन द्वारा दिया गया प्रत्यावेदन। प्रतिनिधिमंडल ने रक्षा मंत्री से कहा, सीमा की तरफ से संबंधित खानाबदोशों की हरकतें रोकने के लिए भारतीय सेना द्वारा पारंपरिक चरागाह भूमि पर अपने पशुधन चराने से प्रतिबंधित कर दिया जाता है। उन्होंने यह भी बताया कि भारत की ओर से बिना वर्दी के सैनिक तैनात हैं। प्रतिनिधियों ने कहा कि उन्हें सिंह के साथ बैठक के बाद कुछ त्वरित कार्रवाई की उम्मीद है।
आपको बता दें कि चीन की भारतीय क्षेत्र में घुसपैठ की हर कोशिश अबतक नाकाम रही है। गलवान घाटी में चीन के नापाक इरादों को नाकाम करने के बाद भारतीय सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा और आसपास के क्षेत्र में लगातार अपनी पकड़ मजबूत रखे हुए अब पैंगोंग झील (Pangong Lake) में भी भारतीय सेना चीनी PLA पर पहले से ज्यादा मजबूत होने जा रही है।
भारतीय सेना ने न सिर्फ पैंगोंग झील बल्कि अन्य बड़े जलाशयों में अपनी निगरानी बढ़ाने के लिए 12 अत्याधुनिक गश्ती नौकाओं की खरीद के लिए हाल ही में मंजूरी दी है।
यह खरीद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि मई की शुरुआत से पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच गतिरोध चल रहा है। सेना ने कहा है कि उसने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में स्थित झीलों समेत विभिन्न जलाशयों में निगरानी और गश्ती के लिए 12 तीव्र गश्ती नौकाओं के लिए सरकारी उपक्रम गोवा शिपयार्ड लिमिटेड के साथ अनुबंध पर दस्तखत किया है। इसकी आपूर्ति मई 2021 से शुरू हो जाएगी।
इनपुट-आईएएनएस
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