चीन ने 4 अफसरों सहित 10 जवानों को भारत को सौंपा, 15 जून के संघर्ष के बाद जबरन रोका था
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन द्वारा जबरन रोके गए 10 भारतीय जवानों को चीनी सेना ने गुरुवार को छोड़ दिया है। इसमें सेना के 4 अधिकारी भी शामिल हैं।
लद्दाख की गलवान घाटी में चीन द्वारा जबरन रोके गए 10 भारतीय जवानों को चीनी सेना ने गुरुवार को छोड़ दिया है। इसमें सेना के 4 अधिकारी भी शामिल हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार 15 जून को लद्दाख की गलवान चीनी सेना से हुई खूनी झड़प के बाद भारतीय जवानों को जबरन चीन ने रोक लिया था। बता दें कि मेजर जनरल स्तर की बातचीत के बाद चीनी सेना ने इन सैनिकों को छोड़ने का निर्णय लिया है। सेना से प्राप्त जानकारी के अनुसार सेना के ये 10 जवान गुरुवार को भारतीय कैंप में पहुंच गए हैं।
सेना से प्राप्त जानकारी के अनुसार मेजर जनरल स्तर की वार्ता में इसपर फैसला लिया गया। सोमवार की घटना के बाद से लगातार भारतीय सेना और चीन के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत जारी है। इस बैठक में भारतीय सेना के मेजर जनरल अभिजीत बापट ने चीनी समकक्ष से इन सभी को छोड़ने की मांग की। इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी चीनी विदेश मंत्री से सैनिकों की रिहाई की बात की थी। जिसके बाद शाम 4 से 4.30 बजे तक इन्हें वापस भारत भेज दिया गया।
गलवान में चीनी साजिश का खुलासा
लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून को भारतीय और चीनी सैनिकों की खूनी मुठभेड़ को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। सैटेलाइट तस्वीरों से साफ पता चलता है कि चीन ने करीब एक हफ्ते पहले ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी। चौकाने वाली बात यह है कि चीन ने गलवान नदी की धारा रोकने के लिए बांध भी बना दिया हैं। सैटेलाइट नक्शे प्रदान करने वाली कंपनी प्लैनेट लैब्स ने खुलासा किया है कि किस तरह 9 जून से 16 जून के बीच चीन ने गलवान घाटी में अपनी तैनाती के साथ ही पूरी तस्वीर बदल दी। प्लेनेट लैब्स ने 9 जून और 16 जून की सैटेलाइट तस्वीरें जारी की हैं। सैटेलाइट तस्वीर से साफ पता चल रहा है कि एक हफ्ते में पूरी गलवान घाटी में चीन ने कायापलट कर दिया। 9 जून को जहां पूरा इलाका खाली था, चीनी सीमा के कई किलोमीटर अंदर तक चीन की कोई हलचल नहीं थी। वहीं हफ्ते भर में 16 जून तक यहां चीन ने एलएसी के पास बड़ी संख्या में निर्माण कर लिया है। चीन ने यहां टैंट और वॉच टावर बना लिए हैं। ये टैंट और टावर जले दिख रहे हैं। बता दें कि भारतीय सेना ने इन टैंट को जला दिया था, जिससे 15 जून को विवाद पैदा हुआ था। इस इलाके में न सिर्फ चीन की सेना का मूवमेंट हुआ है, वहीं यहां पर चीन ने हैवी मशीनरी जमा कर ली है।