नई दिल्ली. आज शाम तीन ऱाफेल लड़ाकू विमान फ्रांस से भारत पहुंचेंगे। इन विमानों को यूएई के एयरबस 330 मल्टी रोल ट्रांसपोर्ट टैंकर्स द्वारा गल्फ ऑफ ओमान में आसमान में ईंधन की सप्लाई की जाएगी। ये तीनों विमान अंबाला एयरफोर्स स्टेशन में Golden Arrows Squadron को ज्वॉइन करेंगे। इन तीन विमानों के अंबाला पहुंचेगी ही भारत में मौजूद राफेल विमानों की संख्या बढ़कर 14 हो जाएगी।
राफेल विमानों की अगली खेप मध्य अप्रैल तक भारत पहुंचेगी। भारतीय वायुसेना राफेल विमानों की दूसरी squadron बनाएगी, जिसे पश्चिम बंगाल के हाशिमारा एयरबेस पर तैनात किया जाएगा। एक स्क्वैड्रन में 18 विमान होते हैं। भारत ने फ्रांस से कुल 36 राफेल लड़ाकू विमानों की डील की है। भारत में राफेल विमानों की पहली खेप पिछले साल 29 जुलाई को भारत पहुंची थी। भारत और फ्रांस के बीच 59000 करोड़ रुपये में 36 राफेल विमानों का सौदा हुआ है।
रूस से सुखोई विमान खरीदने के बाद राफेल विमानों का सौदा भारत द्वारा किसी देश के साथ लड़ाकू विमानों का दूसरा बड़ा सौदा है। राफेल 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है। ये दोहरे इंजन ओम्नीरोल के साथ हवाई टोही, सटीकता से वार, जहाज रोधी और परमाणु संपन्न, हथियारों से लैस है। राफेल के वायुसेना में शामिल होने से देश की वायु क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। बहु-उद्देश्यीय भूमिका में कामयाब राफेल विमानों को सटीकता से हमला करने और वायु क्षेत्र में दबदबा कायम करने के लिए जाना जाता है।
राफेल विमान कई शक्तिशाली हथियारों को साथ ले जा सकने में सक्षम है। नजरों की रेंज से परे हवा से हवा में मार करने वाली (बीवीआरएएएम) यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की मीटियोर मिसाइल और स्काल्प क्रूज मिसाइल, राफेल विमानों के हथियार पैकेज का मुख्य आधार होगा। 36 राफेल विमानों में से 30 लड़ाकू विमान होंगे और छह प्रशिक्षण विमान। प्रशिक्षण विमानों में दो सीट होंगी और उनमें लड़ाकू विमान वाली लगभग सभी विशेषताएं होंगी।
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