मध्य प्रदेश के इस जिले में बच्चों ने खेल-खेल में 'गुल्लक' में जमा किए एक करोड़ रुपये
बच्चों ने अपनी छोटी-छोटी बचत राशि से एक करोड़ रूपये की बड़ी राशि सहकारी बैंक में जमा करके सबको हैरान कर दिया है...
छिंदवाड़ा: बच्चे ने पैसे मांगे, मां ने आंचल के छोर से बंधी गांठ खोलकर अठन्नी या एक रुपये का सिक्का बच्चे की हथेली पर रख दिया। बच्चा दौड़कर गया और उस सिक्के को अपनी गुल्लक में डाल दिया। फिर तो यह सिलसिला चल निकला, जब जहां से पैसे मिले, बच्चे गुल्लक में डालते रहे। आज वे बच्चे बड़े हो गए हैं और उनकी यह छोटी-छोटी राशि भी एक करोड़ रुपये की बड़ी रकम बन चुकी है। बच्चों में बचत की आदत डालने के लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में वर्ष 2007 में शुरू की गई बच्चों की ‘गुल्लक योजना’ से बच्चों ने अपनी छोटी-छोटी बचत राशि से एक करोड़ रूपये की बड़ी राशि सहकारी बैंक में जमा करके सबको हैरान कर दिया है।
छिंदवाड़ा जिला सहकारी बैंक मर्यादित के CEO कृष्णकुमार सोनी ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2007 में छोटे-छोटे बच्चों में बचत की आदत डालने के लिए ‘अरुणोदय गुल्लक योजना’ शुरू की थी। इसके बाद अब इस योजना के बेहतर परिणाम सामने आने लगे हैं। छिंदवाड़ा के जिला सहकारी बैंक ने इस अनूठी योजना की शुरुआत की थी। इस दौरान 11 वर्ष में जिले की 26 सहकारी बैंक शाखाओं में बच्चों द्वारा गुल्लक में की गई बचत की राशि एक करोड़ रूपये से अधिक हो गई है। बैंक अब इन रुपयों से बच्चों को पढ़ने, व्यवसाय, शादी या अन्य दूसरी जरुरतों को पूरा करने के लिए ऋण दे रहा है।
CEO ने बताया कि अरुणोदय गुल्लक योजना खाते में एक रुपये से लेकर कितनी भी राशि जमा कराई जा सकती है। इस खाते को आसानी से खोला जा सकता है। नवजात का जन्म प्रमाण पत्र या फिर कोई भी आईडी प्रूफ देकर पिता के KYC दस्तावेजों के साथ बचत खाता खोलकर गुल्लक दी जाती है। उन्होंने बताया कि गुल्लक एक छोटे लॉकर जैसी होती है, जिसकी दो चाबी होती हैं। इसकी एक चाबी खाताधारक और दूसरी बैंक के पास होती है। दोनों चाबी एक साथ लगाने पर ही इस गुल्लक को खोला जा सकता है। हर महीने बच्चों के अभिभावक गुल्लक को बैंक में लाकर खोलते हैं और गुल्लक की जमा राशि को बच्चों के खाते में डाल दिया जाता है। इस खाते को बच्चों के अभिभावक और बच्चे के नाम के साथ संयुक्त रूप से खोला जा सकता है। जमा राशि पर बैंक द्वारा 8 प्रतिशत के हिसाब से ब्याज भी दिया जाता है।
सोनी ने बताया कि बच्चे के खाते में 2,000 से 5,000 रूपये की राशि जमा होने पर मियादी अमानत बना दी जाती है। मियादी अमानत पर ब्याज अधिक मिलता है। जिले में 6,000 से ज्यादा खाता धारक हो गए हैं जिसके चलते बैंक में एक करोड़ रूपये से ज्यादा की राशि जमा हो गई है। उन्होंने बताया कि बच्चों के अभिभावक महीने में एक बार बैंक आते हैं और गुल्लक खोलकर, जितनी भी राशि होती है उसे पासबुक में दर्ज कर बच्चे के खाते में जमा कर देते हैं। गोलगंज निवासी खाताधारक नमन जैन ने बताया कि इस योजना के अंतर्गत उन्होंने अपने खाते में 17,543 रुपये जमा कर लिए हैं।
पटेल नगर निवासी अर्थव चिचोले ने बताया कि इस योजना में उन्होंने 19,314 रुपये जमा किए, जबकि ग़ुलाबरा निवासी अश्विनी सासनकार ने बताया कि वह इस योजना के अंतर्गत अपने खाते में 20 हजार रुपये से ज्यादा जमा कर चुके हैं। सिविल लाइन निवासी अनिल श्रीवास्तव ने बताया कि इस योजना से उन्हें छुटपन में ही बचत करने की आदत लग गई और उन्होंने अपने खाते में 25,759 रुपये से ज्यादा जमा कर लिए।