Chandrayan-2 Day 28: आज होगी चंद्रयान-2 और ISRO की अग्निपरीक्षा, थोड़ी देर में चंद्रमा की कक्षा में करेगा प्रवेश
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और इसके चंद्रयान 2 मिशन (Chandrayaan-2) के लिए मंगलवार की सुबह बेहद महत्वपूर्ण है। आज चंद्रयान 2 चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और इसके चंद्रयान 2 मिशन (Chandrayaan-2) के लिए मंगलवार की सुबह बेहद महत्वपूर्ण है। आज चंद्रयान 2 चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा। इसरो के वैज्ञानिकों के अनुसार मंगलवार सुबह 8.30 से 9.30 के बीच चंद्रयान-2 की यह अग्निपरीक्षा होनी है। इसरो के वैज्ञानिक इस महत्वपूर्ण चरण के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। चंद्रयान-2 को 22 जुलाई को भारत के श्रीहरिकोटा प्रक्षेपण केंद्र से रॉकेट बाहुबली की मदद से लॉन्च किया गया था। पूर्व योजना के अनुसार 7 सितंबर को चंद्रयान-2 चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करेगा।
इससे पहले 14 अगस्त को चंद्रयान-2 को ट्रांस लूनर ऑर्बिट में डाला गया था। यानी वह लंबी कक्षा जिसमें चलकर चंद्रयान-2 चांद के करीब पहुंच रहा है। यदि यह अभियान सफल रहा तो रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत चंद्रमा की सतह पर रोवर पहुंचाने वाला चौथा देश बन जाएगा।
चंद्रयान की गति घटाने की कोशिश
चंद्रयान इस समय चंद्रमा की गुरुत्व शक्ति के सहारे चांद की ओर बढ़ रहा है। यह इस मिशन के सबसे मुश्किल अभियानों में से एक है क्योंकि अगर सेटेलाइट चंद्रमा पर उच्च गति वाले वेग से पहुंचता है, तो वह उसे उछाल देगा और ऐसे में वह गहरे अंतरिक्ष में खो जाएगा। लेकिन अगर वह धीमी गति से पहुंचता है तो चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण चंद्रयान 2 (Chandrayaan 2) को खींच लेगा और वह सतह पर गिर सकता है। इसरो के चेयरमैन डॉ. के. सिवन ने बताया कि चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में जाते समय कड़ी परीक्षा से गुजरेगा। चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति 65000 किमी तक रहती है। ऐसे में चंद्रयान-2 की गति को कम करना पड़ेगा। नहीं तो, चांद की गुरुत्वाकर्षण शक्ति के प्रभाव में आकर वह उससे टकरा भी सकता है। गति कम करने के लिए चंद्रयान-2 के ऑनबोर्ड प्रोपल्शन सिस्टम को थोड़ी देर के लिए चालू किया जाएगा।
31 अगस्त तक चंद्रमा के चक्कर काटेगा चंद्रयान 2
चंद्रयान-2 चांद की कक्षा में प्रवेश करने के बाद 31 अगस्त तक चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाता रहेगा। इस दौरान एक बार फिर कक्षा में बदलाव किया जाएगा। चंद्रयान-2 को चांद की सबसे करीबी कक्षा तक पहुंचाने के लिए चार बार कक्षा बदली जाएगी।
यहां से रखी जा रही है नज़र
बेंगलुरु के नजदीक ब्याललू स्थित डीप स्पेस नेटवर्क (आईडीएसएन) के एंटीना की मदद से बेंगलुरु स्थित इसरो, टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) के मिशन ऑपरेशंस कांप्लेक्स (एमओएक्स) से यान की स्थिति पर लगातार नजर रखी जा रही है।