चंद्रयान-1 टीम को याद आई ईंधन लीक, खराब मौसम, अन्य चुनौतियां
चंद्रयान-1 भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन था, जिसे 2008 में चंद्रमा पर भेजा गया। एम.अन्नादुरई की देखरेख में चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को डिजाइन किया गया था।
चेन्नई | चंद्रयान-1 परियोजना के सेवानिवृत्त हो चुके सदस्यों के अनुसार, ट्रांसपोर्ट रॉकेट के प्रोपलेंट भरने के दौरान ईंधन रिसाव, खराब मौसम, पेलोड की डिजाइन व अंतरिक्ष यान, चंद्रयान-1 मिशन की चुनौतियां बढ़ाने वाले कुछ चिंताजनक क्षण थे। चंद्रयान-1 भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन था, जिसे 2008 में चंद्रमा पर भेजा गया। एम.अन्नादुरई की देखरेख में चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को डिजाइन किया गया था। अन्नादुरई ने कहा, "यह चंद्रयान-1 मिशन की सफलता है, जिसने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को मंगल मिशन व अब दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के लिए प्रेरित किया।"
अन्नादुरई ने कहा, "चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा पर पानी होने का पता लगाया था। इससे अंतरिक्ष में जाने वाले देशों में चंद्रमा के प्रति रुचि बढ़ी। अब 'बैक टू द मून' का नारा सही दिखाई पड़ता है।" हालांकि, चंद्रयान-1 अंतरिक्ष यान को ले जाने वाले ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी) रॉकेट के लॉन्च से पहले चिंताजनक स्थिति बनी हुई थी। तत्कालीन रेंज ऑपरेशंस के निदेशक एम.वाई.एस प्रसाद ने आईएएनएस से कहा, "लॉन्च के एक दिन पहले दूसरे चरण (इंजन) में ईंधन लोडिंग ऑपरेशन के दौरान लीक हुआ था। यह लीक रॉकेट व जमीनी उपकरण के बीच ज्वाइंट पर था।"
विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के तत्कालीन निदेशक के.राधाकृष्णन ने आईएएनएस से कहा, "इस लीक की पहचान प्रोपलेंट फिलिंग यूनिट व लॉन्चर के बीच की गई।"
राधाकृष्णन बाद में इसरो के चेयमैन पद से सेवानिवृत्त हुए। राधाकृष्णन ने कहा कि वीएसएससी को चंद्रयान-1 के लिए पीएसएलवी-एक्सएल रॉकेट निर्माण के साथ मून इम्पैक्ट प्रोब बनाने की जिम्मेदारी दी गई।
ईंधन लीक को याद करते हुए राधाकृष्णन ने कहा कि इसरो की टीम को हाइपरगोलिक ईंधन और ऑक्सीडाइजर के संयोजन को लेकर पूरी तरह से अलर्ट थी।उनके अनुसार, लॉन्च से पहले बारिश अप्रत्यक्ष तौर पर फायदेमंद साबित हुई। राधाकृष्णन ने याद करते हुए कहा कि ईंधन भरना फिर से शुरू किया लेकिन इसके प्रवाह की दर व ईंधन यूएच 25 का आदर्श अनुपात व ऑक्सीडाइजर (नाइट्रोजन टेट्राआक्साइड) में बाधा रही।
इस बीच मौजूदा इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने गणना की और सफल मिशन के लिए पर्याप्त गुंजाइश होने का पूर्वानुमान जताया। सिवन तत्कालीन वीएसएससी के गाइडेंस व मिशन सिमुलेशन के समूह निदेशक थे। इन तनावपूर्ण क्षणों के दौरान तत्कालीन इसरो चेयरमैन जी.माधवन नायर ने शांतचित्त होकर, पीएसएलवी लॉन्च के लिए अंतिम संकेत दिया।