नईदिल्ली: धर्म और कूटनीति का पाठ पढ़ाने वाले आचार्य चाणक्य ने विवाह को लेकर अपने गहरे विचार दुनिया के सामने रखे हैं। आचार्य का कहना था कि विवाह जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। विवाह के बाद ही पति-पत्नी का औऱ साथ ही उनके परिवारों का जीवन बदलता है। इसी वजह से शादी किससे की जाए, इस संबंध में सावधानी अवश्य रखी जाती है। आज के समय में पुरुष विवाह के लिए सुंदर स्त्रियों को अधिक महत्व देते हैं, जरुरी नही की सुंदर स्त्रियां ही सर्वगुण सम्पन्न हो। इसलिए किस तरह की लड़की से विवाह करना चाहिए और किस तरह की लड़की से नहीं। जानिए आचार्य ने और कौन-कौन सी बातें कही है
आचार्य चाणक्य का मानना था कि समझदार और श्रेष्ठ मनुष्य वही है जो उच्चकुल यानी संस्कारी परिवार में जन्म लेने वाली संस्कारी कन्या से विवाह करता है। ऐसे परिवार की कन्या यदि कुरूप भी तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। क्योकि कन्या के गुण ही परिवार को आगे बढ़ाते हैं। पुरुष को विवाह के लिए स्त्री की बाहरी सुंदरता को नही देखना चाहिए बल्कि उसके मन की सुंदरता और संस्कार देखने चाहिए। यदि कोई सुंदर कन्या यदि संस्कारी, धार्मिक और चरित्र ठीक न हो, नीच कुल की हो तो उससे किसी भी परिस्थिति में विवाह नहीं करना चाहिए। जबकि यदि कुरूप कन्या संस्कारी हो तो उससे विवाह कर लेना चाहिए। विवाह हमेशा समान कुल में शुभ रहता है। आचार्य चाणक्य ने यह नीति पुरुषों पर भी ठीक इसी प्रकार लागू होती है। जिन पुरुषों में ऐसे अवगुण हों तो स्त्रियों को विवाह नहीं करना चाहिए।
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