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Hindi News भारत राष्ट्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इंडिया टीवी कॉन्क्लेव में कहा- संगठित तरीके से कोई आग्रह आए तो केंद्र शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बात करने को तैयार

कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इंडिया टीवी कॉन्क्लेव में कहा- संगठित तरीके से कोई आग्रह आए तो केंद्र शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से बात करने को तैयार

केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम नेताओं के एक समूह के सामने आज यह स्पष्ट किया कि अगर बातचीत का कोई आग्रह संगठित तरीके से आता है तो केंद्र उन (शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों) से बात करने को तैयार है।

Centre willing to talk to Shaheen Bagh protesters, only if a structured request comes, says Law Mini- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Centre willing to talk to Shaheen Bagh protesters, only if a structured request comes, says Law Minister Ravi Shankar Prasad in India TV Conclave  

नई दिल्ली: केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने मुस्लिम नेताओं के एक समूह के सामने आज यह स्पष्ट किया कि अगर बातचीत का कोई आग्रह संगठित तरीके से आता है तो केंद्र उन (शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों) से बात करने को तैयार है। रविशंकर प्रसाद ने यहां दिल्ली विधानसभा चुनाव को लेकर दिनभर चले इंडिया टीवी कॉन्क्लेव 'चुनाव मंच' में मुस्लिम नेताओं के एक समूह के साथ संशोधित नागरिकता कानून पर बहस के दौरान यह बात कही। 
 
सरकार बात करने को तैयार
नून मंत्री से इंडिया टीवी के एंकर ने यह पूछा था कि शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों के पास केंद्र सरकार का कोई भी नुमाइंदा उनकी मांगें सुनने क्यों नहीं गया। रविशंकर प्रसाद ने कहा- 'मैं आज आप लोगों को सुन रहा हूं। लेकिन क्या कोई कह सकता है कि यह पूरी जमात पूरे कौम का प्रतिनिधित्व करती है? अगर वे ऐसा चाहते हैं कि केंद्र के नुमाइंदे को उनसे बात करनी चाहिए तो संगठित तरीके से सरकार के पास आएं तो सरकार इसके (बात करने) लिए तैयार है।'
 
महिलाओं के बारे में इस तरह की टिप्पणी उचित नहीं
बीजेपी के कुछ प्रवक्ताओं और नेताओं द्वारा यह आरोप लगाने पर कि शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारियों को रोजाना भुगतान के आधार पर भाड़े पर लाया गया है, प्रसाद ने कहा- 'मुझे नहीं लगता कि मुस्लिम महिलाओं के बारे में इस तरह की टिप्पणी उचित है। लोगों को सम्मान के साथ महिलाओं और बच्चों के बारे में बोलना चाहिए, लेकिन मैं यह भी कहना चाहता हूं कि शाहीन बाग से जो खबरें हमें मिल रही हैं, उनमें सभी खबरें अच्छी नहीं हैं।' 
 
लोकतंत्र में विरोध करने का अधिकार है
रविशंकर प्रसाद ने कहा- 'क्या कुछ सौ लोग हजारों लोगों की आवाज को दबा सकते हैं, जिनकी दुकानें बंद हैं और बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे हैं? उन्हें विरोध करने का अधिकार है लेकिन उनके कुछ नेता कह रहे हैं कि जबतक सीएए को वापस नहीं लिया जाता है, किसी तरह की बातचीत नहीं होगी।'
 
 यह मुल्क जितना हिंदुओं का है उतना मुसलमानों का भी 
कानून मंत्री ने कहा कि 'संशोधित नागरिकता कानून किसी भारतीय नागरिक पर लागू नहीं होता है। दूसरी बात, सीएए किसी हिंदुस्तानी को न तो नागरिकता देता है और न ही किसी की नागरिकता लेता है। मैं यहां भारत के मुसलमानों को बिल्कुल स्पष्ट कर देना चाहता हूं। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धर्म के आधार पर सताए गए अल्पसंख्यकों पर लागू होता है। यह मुल्क जितना हिंदुओं का है उतना मुसलमानों का भी है। मैं यह पूरी प्रतिबद्धता के साथ कहना चाहता हूं।'  उन्होंने कहा, 'सीएए पर हमारी सोच बिल्कुल स्पष्ट है। जिस किसी को भी इस कानून को लेकर कन्फ्यूजन है तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं। मैं चुनौती देता हूं कि कोई भी इस कानून का एक भी ऐसा क्लॉज दिखा दे जिससे वह सहमत नहीं है।'
 
मनमोहन सिंह ने किया था आग्रह
रविशंकर प्रसाद ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का जिक्र किया कि उन्होंने वर्ष 2003 में तत्कालीन गृह मंत्री एल.के. आडवाणी से आग्रह किया था कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता दी जाय। कानून मंत्री ने कहा 'यह राज्यसभा की कार्यवाही में रिकॉर्ड पर है। मेरे पास राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के सभी लेटर हैं, जिसमें केंद्र से अनुरोध किया गया कि पाकिस्तान से आए हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता दी जाय। मेरे पास असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई का भी वह रिक्वेस्ट लेटर है जिसमें उन्होंने बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की बात कही है।' 
 
वे करें तो ठीक, हम करें तो विरोध
रविशंकर प्रसाद ने कहा-'मैं उस अतीत में नहीं जाना चाहता कि महात्मा गांधी ने क्या वादा किया था और नेहरू-लियाकत अली खान के समझौते में क्या प्रावधान थे। बात ये है कि अगर वे ऐसा करते हैं, तो सब ठीक है, और जब हम कुछ करते हैं, तो इसका विरोध किया जाता है। इसके पीछे क्या तर्क है?

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