नई दिल्ली: केंद्र ने पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की 15,000 घटनाएं होने और उनमें 25 लोगों के मारे जाने तथा 7,000 महिलाओं से छेड़खानी किए जाने का दावा करने वाली एक तथ्यान्वेषी दल की रिपोर्ट पर मंगलवार को कार्रवाई करने का वादा किया। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी के मुताबिक सिक्किम हाई कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस (रिटायर्ड) प्रमोद कोहली के नेतृत्व वाले सिविल सोसाइटी ग्रुप (कॉल फॉर जस्टिस) की रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव बाद हिंसा पूरे पश्चिम बंगाल में कई गांवों और शहरों में हुई, जिसकी शुरुआत एक साथ 2 मई की रात को हुई, जब विधानसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा की गई थी।
‘हिंसा की ज्यादातर घटनाएं योजनाबद्ध थीं’
कॉल फॉर जस्टिस की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘यह एक स्पष्ट संकेत है कि ज्यादातर घटनाएं छिटपुट नहीं थी, बल्कि पूर्व निर्धारित, योजनाबद्ध और षड्यंत्र के तहत थीं।’ 5 सदस्यीय दल में 2 IAS अधिकारी और एक IPS अधिकारी शामिल थे। रेड्डी ने समूह की रिपोर्ट उन्हें सौंपे जाने पर कहा, ‘गृह मंत्रालय रिपोर्ट का अध्ययन करेगा और उसकी सिफारिशें लागू करने की कोशिश करेगा।’ रिपोर्ट, पांच सदस्यीय दल द्वारा पश्चिम बंगाल का दौरा करने और वहां के विभिन्न तबकों के लोगों से मिलने के बाद तैयार की गई है। रेड्डी ने रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि राज्य के 16 जिले चुनाव बाद हिंसा से प्रभावित हुए थे।
‘कई लोगों ने बंगाल में अपना घर छोड़ा’ रेड्डी ने कहा, ‘रिपेार्ट में कहा गया है कि चुनाव बाद हिंसा के चलते कई लोगों ने बंगाल में अपना घर छोड़ दिया और असम, झारखंड तथा ओडिशा में शरण ली।’ तथ्यान्वेषी दल ने रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष रखे जाने का सुझाव दिया है। दल ने यह सुझाव भी दिया है कि केंद्र सरकार को कर्तव्य में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए।
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