नई दिल्ली: केंद्र सरकार कोविड-19 की वजह से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को दी जाने वाली मासिक वित्तीय सहायता को 2,000 रुपये से बढ़ाकर 4,000 रुपये करने की योजना बना रही है। एक अधिकारी ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस संबंध में एक प्रस्ताव अगले कुछ सप्ताह में मंजूरी के लिए कैबिनेट के पास जा सकता है। अधिकारी ने बताया कि महिला और बाल विकास मंत्रालय ने प्रस्ताव दिया है कि महामारी से अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को दी जाने वाली मासिक सहायता 2,000 रुपये से बढ़ाकर 4,000 रुपये की जाए।
बता दें कि सरकार ने मई में घोषणा की थी कि जिन बच्चों के माता-पिता या कानूनी अभिभावक/गोद लेने वाले माता-पिता कोविड-19 के कारण खो दिया है, उन्हें 'पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना के तहत सहायता दिया जाएगा। मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, अब तक इस योजना के तहत प्राप्त 3,250 आवेदनों में से कुल 667 को संबंधित जिलाधिकारियों द्वारा मंजूर किया गया है। आंकड़ों से यह भी पता चला कि अब तक 467 जिलों से आवेदन प्राप्त हुए हैं।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना वायरस महामारी के पहले 14 महीनों के दौरान भारत के 1,19,000 बच्चों समेत 21 देशों में 15 लाख से अधिक बच्चों ने संक्रमण के कारण अपने माता-पिता या उन अभिभावकों को खो दिया जो उनकी देखभाल करते थे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑन ड्रग एब्यूज (NIDA) और नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ हेल्थ (NIH) के अध्ययन में कहा गया है कि भारत में 25,500 बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपनी मां को खो दिया जबकि 90,751 बच्चों ने अपने पिता को और 12 बच्चों ने माता-पिता दोनों को खो दिया।
इस अध्ययन के आकलन के अनुसार, दुनियाभर में 11,34,000 बच्चों ने अपने माता-पिता या संरक्षक दादा-दादी/नाना-नानी को कोविड-19 के कारण खो दिया। इनमें से 10,42,000 बच्चों ने अपनी मां, पिता या दोनों को खो दिया। ज्यादातर बच्चों ने माता-पिता में से किसी एक को गंवाया है। एआईएच ने एक मीडिया विज्ञप्ति में कहा कि कुल मिलाकर 15,62,000 बच्चों ने माता-पिता में से कम से कम एक या देखभाल करने वाले लोगों में से किसी एक को या अपने साथ रह रहे दादा-दादी/नाना-नानी (या अन्य बुजुर्ग रिश्तेदार) को खो दिया। (भाषा)
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