मेट्रो में महिलाओं को मुफ्त यात्रा के लिए अलग टोकन देने का विकल्प केन्द्र को मान्य नहीं होगा
मंत्रालय का स्पष्ट तौर पर मानना है कि सुचारू रूप से चल रही मौजूदा व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव का मेट्रो परिचालन पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। एक अधिकारी ने बताया कि भविष्य में अन्य शहरों में भी ऐसी मांग उठने की संभावना को देखते हुए सरकार चाहती है इसे लागू करने वाली व्यवस्था इतनी पुख्ता और टिकाऊ हो जिसे एकरूपता के साथ सभी जगह लागू किया जा सके।
नई दिल्ली। केन्द्र सरकार मेट्रो परिचालन की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव से जुड़े ऐसे किसी विकल्प पर अमल के पक्ष में नहीं है, जिससे इसकी कार्यदक्षता प्रभावित होती हो। ऐसे में महिलाओं को दिल्ली मेट्रो में मुफ्त यात्रा सुविधा देने के लिए अलग टिकट के रूप में ‘पिंक टोकन’ जारी करने का केजरीवाल सरकार का विकल्प केन्द्र सरकार को मान्य होगा, इसकी संभावना नहीं है।
दिल्ली सहित अन्य शहरों की मेट्रो परियोजनाओं से जुड़े आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक किराये में छूट की राशि महिलाओं के बैंक खाते में जमा कराने के ‘मेट्रो मैन’ ई श्रीधरन के सुझाव पर मंत्रालय ने सहमति व्यक्त करते हुये मेट्रो परिचालन की मौजूदा व्यवस्था में किसी भी तरह के बदलाव से जुड़े विकल्प पर असहमति जतायी है। ऐसे में नए टोकन जारी करने जैसे किसी प्रस्ताव को दिल्ली मेट्रो रेल कार्पोरेशन (डीएमआरसी) के निदेशक मंडल की बैठक में केन्द्र सरकार की मंजूरी मिलने की संभावना नहीं है।
उल्लेखनीय है कि इस योजना को लागू करने के लिये डीएमआरसी के निदेशक मंडल की आगामी बैठक में मंजूरी लेना अनिवार्य होगा। केन्द्रीय आवास एवं शहरी विकास सचिव की अध्यक्षता वाले निदेशक मंडल में केन्द्र और दिल्ली सरकार के चार-चार प्रतिनिधि होते हैं।
मंत्रालय का स्पष्ट तौर पर मानना है कि सुचारू रूप से चल रही मौजूदा व्यवस्था में किसी तरह के बदलाव का मेट्रो परिचालन पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। एक अधिकारी ने बताया कि भविष्य में अन्य शहरों में भी ऐसी मांग उठने की संभावना को देखते हुए सरकार चाहती है इसे लागू करने वाली व्यवस्था इतनी पुख्ता और टिकाऊ हो जिसे एकरूपता के साथ सभी जगह लागू किया जा सके।
उन्होंने दलील दी, ‘‘टोकन प्रणाली को भ्रष्टाचार और दुरुपयोग की शिकायतों के कारण बंद करने के कारण दिल्ली मेट्रो में अब स्वचालित टिकट प्रणाली लागू है। इस कारण अधिकांश स्टेशनों पर ‘टोकन विंडो’ बंद कर इनकी जगह टिकट वेंडिग मशीनें कार्यरत हैं। ऐसे में पिंक टोकन के लिये फिर से टिकट विंडो खोलना, ईवीएम (इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन) के बजाय मतपत्र से मतदान कराने की प्रक्रिया की ओर लौटने जैसा ही होगा। यह कतई स्वीकार्य नहीं है।’’
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने हाल ही में महिलाओं को मुफ्त यात्रा सुविधा देने की घोषणा करते हुए इसके एवज में किराया राशि का दिल्ली सरकार द्वारा डीएमआरसी को भुगतान करने की बात कही थी। केजरीवाल के अनुरोध पर मेट्रो प्रबंधन ने महिला यात्रियों को ‘पिंक टोकन’ देने का विकल्प सुझाया है।
इस बीच, श्रीधरन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मेट्रो में किसी भी तरह की किराया छूट योजना को नुकसानदायक बताते हुये सुझाव दिया कि सरकार अगर इस तरह की छूट देना चाहती है तो उसे मेट्रो की परिचालन व्यवस्था से छेड़छाड़ किये बिना, किराये की एकमुश्त राशि लाभार्थियों के बैंक खाते में जमा कराने का विकल्प अपनाना चाहिये।
श्रीधरन के सुझाव को दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने अव्यवहारिक बताते हुये पिंक टोकन को ही बेहतर विकल्प बताया है। वहीं आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने पिंक टोकन के विकल्प से असहमति व्यक्त की है। ऐसे में इस घोषणा को लागू करने से पहले मेट्रो के निदेशक मंडल की बैठक में इसे सर्वसम्मति से मंजूरी मिलने पर आशंका के बादल मंडराने लगे हैं।
समझा जाता है कि केजरीवाल की इस घोषणा को लागू करने के सभी संभावित विकल्पों पर केन्द्र सरकार में भी विचार मंथन जारी है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, ‘‘महिलाओं को सहूलियत देने वाली हर पहल स्वागतयोग्य है, लेकिन सरकार की चिंता इसे लागू करने के तरीके को लेकर है। सरकार का मानना है कि जो भी व्यवस्था लागू हो वह टिकाऊ होनी चाहिये और इससे मौजूदा व्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं होनी चाहिये।’’