नई दिल्ली: संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को ‘बदनाम’ कर रही है। उसने कहा कि अगर सरकार उम्मीद कर रही कि आंदोलन खत्म हो जाएगा तो ऐसा नहीं होने वाला। संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में 40 किसान संगठन प्रदर्शन कर रहे हैं। एसकेएम ने दावा किया कि कई राज्य सरकारें आंदोलन के साथ मजबूती से खड़ी हैं तथा आंदोलन से जुड़ने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन स्थल पर और किसान पहुंच गए हैं।
तीन कृषि कानूनों को खत्म करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी के लिए कानून की मांग को लेकर मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हजारों किसान पिछले छह महीने से ज्यादा समय से दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा, ‘प्रदर्शनकारियों को बदनाम करने का कोई भी मौका छोड़ा नहीं जा रहा। हालांकि, उनकी नीति इस बार भी नाकाम होगी। किसान जो मांग रहे हैं, वह यह है कि उनके आजीविका के मौलिक अधिकार की रक्षा की जाए।’
बयान में कहा गया, ‘लोकतंत्र में यह अपेक्षा की जाती है कि सरकार उनकी जायज मांगों को मान लेगी। इसके बजाय, भाजपा नेतृत्व वाली सरकार अनावश्यक रूप से आंदोलन को लंबा खींच रही है, इसे बदनाम कर रही है और उम्मीद कर रही है कि यह ऐसे ही खत्म हो जाएगा। यह नहीं होने वाला है।’ संयुक्त किसान मोर्चा ने दावा किया कि बीजेपी के कई नेता केंद्र सरकार से किसानों के मुद्दे का समाधान करने के लिए कह रहे हैं।
बयान में कहा गया, ‘तमिलनाडु के मुख्यमंत्री (एम के स्टालिन) ने हाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ज्ञापन में तीनों कृषि कानूनों को रद्द किए जाने का मुद्दा उठाया। महाराष्ट्र भी किसानों पर केंद्रीय कानूनों के बुरे प्रभावों को बेअसर करने के लिए अपने कानून में संशोधन करने की प्रक्रिया में है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री (ममता बनर्जी) भी लगातार कहती रही हैं कि आंदोलनकारी किसानों की मांगें पूरी होनी चाहिए। कुछ अन्य राज्यों में अन्य दलों की सरकारें भी किसानों के आंदोलन के साथ खड़ी हैं।’
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