नयी दिल्ली: नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। किसान संगठनों के बीच अबतक की बातचीत में कोई हल नहीं निकल पाया है। हालांकि इस आंदोलन के बीच रविवार को कुछ किसान संगठनों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात कर कृषि कानूनों का समर्थन भी किया है। वहीं रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को जोर दिया कि कृषि क्षेत्र 'मातृ क्षेत्र' है और इसके खिलाफ कोई भी प्रतिगामी कदम उठाने का सवाल ही नहीं उठता।
उद्योग चैंबर ‘फिक्की’ की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में हाल में किसानों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर सुधार किये गए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार हमेशा चर्चा एवं वार्ता के लिए तैयार है।
रक्षा मंत्री ने कहा, ''हमारे कृषि क्षेत्र के खिलाफ कभी कोई प्रतिगामी कदम उठाने का सवाल ही नहीं उठता। हाल के सुधारों को भारतीय किसानों के सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखकर किया गया है।''
उन्होंने कहा, ''हालांकि, हम अपने किसान भाइयों की बात सुनने के हमेशा इच्छुक हैं, उनके भ्रम दूर करने का हर वह आश्वासन देने को तैयार हैं, जोकि हम दे सकते हैं। हमारी सरकार हमेशा वार्ता एवं चर्चा के लिए तैयार है।''
रक्षा मंत्री ने कहा कि कृषि एक ऐसा क्षेत्र है, जो कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के प्रतिकूल प्रभावों से बचने में सक्षम रहा। उन्होंने कहा, ''हमारी फसलें और उनकी खरीद प्रचुर मात्रा में है और हमारे गोदाम भरे हुए हैं।'' बता दें कि नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की मांग को लेकर हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर पिछले दो सप्ताह से अधिक समय से विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं।
वहीं नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन की वजह से दिल्ली आने वाले कई रास्ते सोमवार को भी बंद रहे। इसके मद्देनजर दिल्ली की यातायात पुलिस ने ट्विटर के माध्यम से लोगों को बंद रास्तों की जानकारी दी और उन्हें परेशानी से बचने के लिए वैकल्पिक मार्गों से आवागमन करने का परामर्श दिया। केंद्र द्वारा सितंबर में लागू कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर विभिन्न राज्यों के किसान दिल्ली के सिंघू, टिकरी, गाजीपुर और चिल्ला बॉर्डर (दिल्ली-नोएडा सीमा) पर दो हफ्तों से डेरा डाले हुए हैं।
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