देश में ऑक्सीजन का इस्तेमाल सिर्फ मेडिकल उद्देश्यों के लिए होगा, केंद्र सरकार का आदेश
मोदी सरकार ने आदेश जारी किया है कि देश में अगले आदेश तक ऑक्सीजन का इस्तेमाल सिर्फ मेडिकल उद्देश्यों के लिए ही किया जाएगा। इससे मरीजों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति में मदद मिलेगी।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच देश ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहा है। मरीजों को ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही है। उनके परिवार वाले यहां से वहां ऑक्सीजन की तलाश में भटकने को मजबूर हैं। लेकिन, इसी बीच अब मोदी सरकार ने आदेश जारी किया है कि देश में अगले आदेश तक ऑक्सीजन का इस्तेमाल सिर्फ मेडिकल उद्देश्यों के लिए ही किया जाएगा। इससे मरीजों के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति में मदद मिलेगी।
इस संबंध में गृह मंत्रालय ने आदेश जारी करते हुए कहा कि पूरे देश में कोरोना वायरस के मरीजों के लिए ऑक्सीजन को पर्याप्त मात्रा और बिना बाधा के सप्लाई करने के लिए इसके इंडस्ट्रियल इस्तेमाल पर रोक लगाना जरूरी है। इस संबंध में आदेश जारी किया गया था। अब सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई की समीक्षा की और फैसला लिया कि तत्काल प्रभाव से मौजूदा स्टॉक सहित पूरी ऑक्सीजन का इस्तेमाल सिर्फ मेडिकल उद्देश्यों के लिए ही होगा।
आदेश में ऑक्सीजन उत्पादन इकाइयों को अधिकतम उत्पादन करने और ऑक्सीजन को तत्काल केवल चिकित्सीय उपयोग के लिए उपलब्ध कराने को कहा गया है। इसके साथ ही, राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि किसी भी गैर-चिकित्सा उद्देश्य के लिए तरल ऑक्सीजन के उपयोग की अनुमति न दी जाए।
अस्पतालों में लगाए जाएंगे 551 ऑक्सीजन प्लांट
वहीं, PMO द्वारा जानकारी दी गई है कि अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता को बढ़ाने के पीएम के निर्देश के अनुरूप, पीएम CARES फंड ने सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं के अंदर 551 समर्पित Pressure Swing Adsorption Medical Oxygen Generation Plants की स्थापना के लिए धन के आवंटन के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दी है।
PMO द्वारा बताया गया कि पीएम ने निर्देश दिया है कि इन प्लांट्स को जल्द से जल्द कार्यात्मक बनाया जाना चाहिए। ये समर्पित संयंत्र विभिन्न राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में जिला मुख्यालय में चिह्नित सरकारी अस्पतालों में स्थापित किए जाएंगे। PMO ने बताया कि ये खरीद स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के माध्यम से की जाएगी।
PMO के बयान के अनुसार, इन-हाउस कैप्टिव ऑक्सीजन जेनरेशन सुविधा इन अस्पतालों और जिले की दिन-प्रतिदिन की मेडिकल ऑक्सीजन जरूरतों को पूरा करेगी। इसके अलावा, तरल चिकित्सा ऑक्सीजन (LMO) कैप्टिव ऑक्सीजन जनरेशन के लिए "टॉप अप" के रूप में काम करेगा।
PMO ने कहा कि इस तरह की प्रणाली लंबे समय तक यह सुनिश्चित करेगी कि जिलों के सरकारी अस्पतालों को ऑक्सीजन की आपूर्ति में अचानक व्यवधान का सामना न करना पड़े और COVID-19 रोगियों और अन्य रोगियों के लिए पर्याप्त निर्बाध ऑक्सीजन की आपूर्ति का उपयोग हो।
पीएम केयर्स कोष से इससे पहले से देश के विभिन्न राज्यों के स्वास्थ्य केंद्रों में 162 पीएसए चिकित्सीय ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों की स्थापना के लिए 201.58 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।