नयी दिल्ली: सिंघु बॉर्डर पर एक व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या को लेकर आलोचना झेल रहे किसान नेताओं ने शनिवार को कहा कि वे प्रदर्शन स्थलों पर सीसीटीवी कैमरे लगाकर तथा स्वयंसेवकों की संख्या बढ़ाकर सुरक्षा चौकस करेंगे और इस घटना का केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। निहंगों के एक समूह ने सिखों के धार्मिक ग्रंथ की बेअदबी के आरोप में दलित खेतिहर मजदूर लखबीर सिंह (36) की शुक्रवार को कथित तौर पर पीट-पीट कर हत्या कर दी थी। सिंह का शव सिंघु सीमा विरोध स्थल पर एक पुलिस बैरिकेड से बंधा मिला था। उनका बायां हाथ कटा हुआ था और शव पर धारदार हथियारों से किए गए 10 से अधिक घाव मिले थे।
सिंघु बॉर्डर हत्याकांड में अबतक 2 गिरफ्तार
पुलिस द्वारा मृतक लखबीर सिंह की हत्या में इस्तेमाल किए गए हथियारों को अभी तक बरामद नहीं किया गया है लेकिन आरोपी निहंग सरबजीत की गिरफ्तार के बाद शनिवार को निहंग नारायण सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया है। निहंग सिख सरबजीत को कोर्ट द्वारा 7 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजा गया है।
विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे किसान संघों के सामूहिक संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर घटना से खुद को अलग कर लिया था और कहा था कि वह यह स्पष्ट करना चाहता है कि ''घटना के दोनों पक्षों'', निहंग समूह और पीड़ित का एसकेएम से कोई संबंध नहीं है।
दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर गाजीपुर में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान संघ (बीकेयू) ने कहा कि शुक्रवार की घटना के मद्देनजर और अधिक कैमरे लगाए जाएंगे तथा विरोध स्थल पर स्वयंसेवकों की तैनाती में बदलाव किया जाएगा। बीकेयू के मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र मलिक ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया, “अब तक किसान संघों के स्थानीय समूहों से जुड़े स्वयंसेवकों को स्थिति की निगरानी और सुरक्षा संबंधी मुद्दों के समन्वय के लिए विरोध स्थल पर तैनात किया गया था। लेकिन अब यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे स्वयंसेवकों को केवल एसकेएम द्वारा विरोध स्थलों पर तैनात किया जाएगा।''
उन्होंने कहा कि यह भी तय किया गया है कि जो समूह या व्यक्ति आंदोलन में भाग ले रहे हैं, लेकिन एसकेएम की नीतियों से अलग विचारधारा रखते हैं, उन्हें विरोध स्थलों को खाली करने या किसानों के समूह के एजेंडे को अपनाने के लिए कहा जाएगा। एसकेएम में शामिल भारतीय किसान मजदूर महासंघ के किसान नेता अभिमन्यु कुहाड़ ने कहा कि जब भी ऐसी कोई घटना होती है तो किसान संगठन सक्रिय रहता है और जरूरत पड़ने पर अपने सुरक्षा विवरण को संशोधित करता है। कुहाड़ ने कहा, ''पश्चिम बंगाल की घटना हो या कोई अन्य छोटा मुद्दा, एसकेएम प्रशासन और पीड़ितों की मदद करने के लिए सबसे आगे रहता है। हम अपनी सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा करते रहते हैं और जरूरत पड़ने पर इसमें सुधार करते हैं।''
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