नयी दिल्ली। सीबीएसई की 12वीं कक्षा के परिणाम में अब तक की सबसे अधिक उत्तीर्ण प्रतिशत ने शिक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञों का ध्यान खींचा है और उनका कहना है कि उच्च स्कोर के चलते कॉलेज में दाखिला एक ''कठिन काम'' बन सकता है। कुछ विशेषज्ञों ने रेखांकित किया कि कथित रूप से ''बढ़े'' हुए अंक राज्य बोर्ड के छात्रों के लिए नुकसानदायक साबित हो सकते हैं, जिनके लिए कॉलेज में दाखिला लेने के अवसर और भी कम हो जाएंगे।
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने शुक्रवार को इस साल के 12वीं कक्षा के नतीजे घोषित किये, जिसमें पहली बार सर्वाधिक 99.37 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए। इस बार भी लड़कियों ने लड़कों को पछाड़ा। लड़कों के मुकाबले 0.54 प्रतिशत अधिक लड़कियां उत्तीर्ण हुई। पिछले साल के उत्तीर्ण प्रतिशत 88.78 फीसदी के मुकाबले इस साल उत्तीर्ण प्रतिशत में 10 फीसदी की वृद्धि हुई है।
मशहूर शिक्षाविद सुनीता गांधी ने कहा, '' स्कूलों को दिशा-निर्देश दिए गए कि वे पिछले वर्षों के मुकाबले करीब दो फीसदी तक अंकों में इजाफा कर सकते हैं। अगर ऐसा है तो 70,000 से अधिक छात्रों ने कैसे इस साल 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किये? एक स्कूल का औसत 80 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकता है। यह विसंगति वास्तव में एक रहस्य है, जिसकी जांच संबंधित अधिकारियों को करने की आवश्यकता है।''
उन्होंने कहा, '' उन स्कूलों का परिणाम इस साल बेहद खराब रहा जिन्होंने दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन किया। कई को मैं जानती हूं जिन्होंने दिशा-निर्देशों का पालन किया और वे दो फीसदी के दायरे में रहे। सीबीएसई द्वारा तय प्रक्रिया के बावजूद कई स्कूल कैसे इससे दूर रहे? इससे छात्रों में भी काफी निराशा है। इससे कॉलेज दाखिलों पर भारी प्रभाव पड़ेगा।'' इस बार 95 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या पिछले वर्ष के 38,686 के मुकाबले बढ़कर 70,004 हो गई है। हालांकि, 90-95 प्रतिशत के बीच अंक प्राप्त करने वाले छात्रों की संख्या 1,57,934 से घटकर 1,50,152 रह गई है।
सेठ आनंद राम जयपुरिया ग्रुप ऑफ एजुकेशनल इंस्टीट्यूशंस के चेयरमैन शिशिर जयपुरिया का मानना है कि बेहतरीन परिणाम संकेत देते हैं कि कॉलेज में प्रवेश एक 'कठिन' कार्य होगा। डीपीएस इंदिरापुरम की प्रिंसिपल संगीता हजेला के अनुसार, 95 प्रतिशत और उससे अधिक अंक वाले वर्ग में छात्रों की संख्या लगभग दोगुनी होना निश्चित रूप से ध्यान देने योग्य है और 'कॉलेजों के लिए अपनी सीटों के बंटवारे पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।'
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