देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच सीबीआई को सौंपी है। कोर्ट ने सीबीआई को FIR दर्ज कर सीएम रावत पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने के लिए कहा है। हाईकोर्ट ने यह आदेश पत्रकार उमेश शर्मा के खिलाफ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि बिगाड़ने के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करते हुए दिया। शर्मा के खिलाफ देहरादून के एक थाने में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के आदेश देते हुए न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकल पीठ ने यह भी कहा कि इस मामले के सभी दस्तावेज अदालत में जमा कराए जाएं।
पत्रकार ने आरोप लगाए हैं कि 2016 में जब त्रिवेंद्र सिंह रावत भाजपा के झारखंड प्रभारी थे तब उन्होंने एक व्यक्ति को गौ सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर घूस ली थी और पैसे अपने रिश्तेदारों के खातों में ट्रांसफर कराए थे।
बता दें कि यह आदेश उमेश शर्मा की उस याचिका पर आया है जिसमें उन्होंने कोर्ट से देहरादून में दर्ज एफआईआर को रद्द करने की प्रार्थना की थी। एफआईआर में कहा गया था कि पत्रकार ने सोशल मीडिया के जरिए सीएम रावत का नाम पैसों के लेन-देन में घसीटते हुए उनकी छवि खराब की। कोर्ट ने पत्रकार की याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री पर लगाए गए आरोप गंभीर हैं। इनकी जांच होना और सच का सामने आना जरूरी है। यह राज्य के हित में ही होगा कि सभी तरह के संदेह खत्म हों। इसलिए कोर्ट का मानना है कि सीबीआई को मामले में एफआईआर दर्ज करनी चाहिए और पूरे मामले की जांच करनी चाहिए।
राज्य सरकार अब विशेष अवकाश याचिका के साथ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी। सीएम रावत के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत ने कहा कि सरकार हाईकोर्च के आदेश का सम्मान करती है। पूछताछ में तथ्य साफ हो जाएंगे।
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