फिर सुनाई देंगे ‘बोफोर्स के धमाके’, CBI करेगा सुप्रीम कोर्ट में अपील का समर्थन
बता दें कि बोफोर्स केस के आरोपियों को दिल्ली हाई कोर्ट ने मई 2005 में बरी कर दिया था। बोफोर्स केस 1987 में सामने आया था। स्वीडन से तोप खरीदने के सौदे में रिश्वत के लेनदेन के आरोपों में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी और दिवंगत इतालवी कारोबार
नई दिल्ली: बोफोर्स तोप की खरीददारी में हुए घोटाले का जिन्न एक बार फिर से बाहर निकलने की तैयारी में हैं। इस केस पर दोबारा सुनवाई करने की अपील पर सुप्रीम कोर्ट इस महीने विचार कर सकता है। बोफोर्स मामले पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील भाजपा सदस्य और एडवोकेट अजय अग्रवाल ने की है। अग्रवाल ने स्पेशल लीव पिटीशन की जल्द सुनवाई की मांग की है। यह याचिका सितंबर 2005 से लंबित है। ये भी पढ़ें: 12000 करोड़ की रेमंड के मालिक विजयपत सिंघानिया पाई-पाई को मोहताज
इकॉनॉमिक टाइम्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि बोफोर्स घोटाले से जुड़े मामले की सुनवाई फिर शुरू करने संबंधी अपील का सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में समर्थन करने वाली है। बता दें कि बोफोर्स केस के आरोपियों को दिल्ली हाई कोर्ट ने मई 2005 में बरी कर दिया था। बोफोर्स केस 1987 में सामने आया था। स्वीडन से तोप खरीदने के सौदे में रिश्वत के लेनदेन के आरोपों में तत्कालीन प्रधानमंत्री दिवंगत राजीव गांधी और दिवंगत इतालवी कारोबारी ओतावियो क्वात्रोकी के नाम घिर गए थे।
इससे पहले सीबीआई ने कहा था कि वह बोफोर्स मामले की दोबारा जांच तभी कर सकती है, जब सुप्रीम कोर्ट या केंद्र सरकार आदेश दे। जांच एजेंसी की यह टिप्पणी एक संसदीय समिति के उस सुझाव के बाद आई, जिसमें कहा गया था कि बोफोर्स मामले को फिर से खोलना चाहिए। संसदीय समिति ने सुझाव दिया कि बोफोर्स तोप की खरीदारी में हुई अनियमितता के मामले को फिर से खोला जाना चाहिए, क्योंकि पिछली जांच में कई 'खामियां' हैं।
सीबीआई के प्रवक्ता आर.के.गौड़ ने आईएएनएस से कहा, "मामले की दोबारा जांच के लिए हमें अदालत या केंद्र सरकार के आदेश की जरूरत है। क्या एक समिति सीबीआई से एक जांच की सिफारिश कर सकती है।" बीजू जनता दल (बीजद) सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) से जुड़ी रक्षा से संबंधित उप समिति ने सुझाव दिया कि मामले को दोबारा खोला जाना चाहिए।
समिति के एक सदस्य ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि समिति द्वारा यह सुझाव दिया गया है, क्योंकि यह महसूस किया गया है कि पिछली जांच में कई खामियां थीं।सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार गुरुवार को समिति के समक्ष पेश हुए, जिनसे बोफोर्स सौदे में प्रणालीगत नाकामी (सिस्टेमेटिक फैल्योर) तथा शीर्ष राजनीतिज्ञों व अधिकारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करने को कहा गया।
सदस्य ने कहा, "उस वक्त सरकार मामले को बंद करना चाहती थी। जांच दोबारा शुरू करना सरकार तथा सर्वोच्च न्यायालय पर निर्भर करता है..समिति ने एक सुझाव दिया है।"रक्षा मंत्रालय से मामले से संबंधित फाइलों के गुम होने के बारे में पूछे जाने पर सदस्य ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि फाइलें अदालत में है।