नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को अपनी जांच में डिजिटल एविडेंस, कई दस्तावेज, कई बैंक खातें, फिक्स्ड डिपॉजिट आदि का पता चला है। इसके अलावा CBI को केस में जांच के दौरान लगभग 190 करोड़ रुपए, 25 लाख नगद, 55 लाख रुपए के सोना का पता चला है। दरअसल सीबीआई द्वारा हाल ही में जयपुर, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद और मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) सहित विभिन्न स्थानों पर एक मामले की जांच में निजी कंपनियों और आरोपी व्यक्तियों के आवासीय परिसरों में तलाशी ली गई थी। सीबीआई ने तकनीकी सहायता धोखाधड़ी योजना में शामिल होने के आरोप में छह निजी कंपनियों के खिलाफ एक शिकायत पर मामला दर्ज किया गया था। यह कंपनियां नई दिल्ली, जयपुर (राजस्थान), नोएडा (उत्तर प्रदेश), गुरुग्राम (हरियाणा) में रजिस्टर्ड है। सीबीआई ने धोखाधड़ी के इस मामले में कई अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है।
आरोप है कि ये कंपनियां इंटरनेट पॉप-अप संदेशों के माध्यम से लोगों से संपर्क करती थी जो Microsoft या किसी अन्य जानी-मानी कंपनी के सुरक्षा अलर्ट के रूप में दिखाई देते थे। पॉप-अप संदेश दावा करते हुए बताते थे कि यूजर्स का कंप्यूटर वायरस से संक्रमित है। उसके बाद यह उपभोक्ता के कंप्यूटर पर स्कैन चलाते थे और वायरस की उपस्थिति की झूठी पुष्टि करते थे। ऐसे में एक टोल फ्री नंबर दिया जाता था जहां पीड़ित संपर्क करता था और कॉल उनके कॉल सेंटर में आ जाता था। फिर यह कंपनियां पीड़ित के कंप्यूटर का रिमोट एक्सेस लेती थीं और उनके कंप्यूटर में समस्या होने की झूठी बात करती थी और फिर लोगों को उसे ठीक करने के लिए कंपनी से सेवाओं और सॉफ्टवेयर्स के लिए सैकड़ों डॉलर का भुगतान करने को कहती थी।
सीबीआई इस गिरोह की मूल नेटवर्क की पहचान करने उसके बुनियादी ढांचे को खत्म करने और अपराधियों को पकड़ने के लिए अन्य देशों में अपने समकक्षों के साथ संपर्क में है। यूएस डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस और CBI ने इस संबंध में सहयोग किया और कल यूएस फेडरल कोर्ट ने एक व्यक्ति और 5 कंपनियों को तकनीकी-सहायता धोखाधड़ी योजना में संलग्न होने से रोकने का आदेश दिया है जिसमें आरोप लगाया गया है कि सैकड़ों बुजुर्ग और कमजोर अमेरिकी लोगों को धोखा दिया गया है। जांच में पता चला है कि अमेरिकी व्यक्ती ने जानबूझकर धोखाधड़ी करने के लिए भारत स्थित सहयोगियों को अमेरिकी समर्थन प्रदान किया। उस व्यक्ति ने सिंगापुर सहित कई कंपनियों के माध्यम से योजना को आसान बनाया। अमेरिकी न्यायालय द्वारा इस तरह की वेबसाइटों और पैसा भुगतान प्रसंस्करण संबंधों को बंद करने को कहा है।
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