सीबीआई निदेशक वर्मा और विशेष निदेशक अस्थाना छुट्टी पर भेजे गए, वर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दी फैसले को चुनौती
सीबीआई के 55 सालों के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से रातोंरात उनकी जिम्मेदारियां पूरी तरह से वापस ले ली गईं।
नयी दिल्ली: सीबीआई के 55 सालों के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से रातोंरात उनकी जिम्मेदारियां पूरी तरह से वापस ले ली गईं। वर्मा और अस्थाना के बीच मचे घमासान के और तेज होने से जांच एजेंसी में गंभीर होते हालात के बीच यह कदम उठाया गया।
एम नागेश्वर राव अंतरिम निदेशक
केंद्र सरकार ने स्थिति को संभालने की कोशिश के तहत 1986 के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी और सीबीआई में संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को ‘अंतरिम उपाय’ के तहत ‘‘तत्काल प्रभाव’’ से निदेशक के ‘‘दायित्वों और कामकाज’’ को देखने के लिये नियुक्त किया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व वाली मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने मंगलवार देर रात यह निर्णय किया।
एक दर्जन अधिकारियों का ट्रांसफर
आधीरात के करीब प्रभार लेने के फौरन बाद राव ने करीब एक दर्जन अधिकारियों के स्थानांतरण का आदेश दिया जिनमें से एक को पोर्ट ब्लेयर भेजा गया है। इसके साथ ही उन्होंने अस्थाना के खिलाफ घूस और जबरन वसूली के आरोपों की जांच के लिये नए सिरे से टीम का गठन किया है। जिन अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है उनमें से अधिकतर गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना के खिलाफ जांच कर रही टीम का हिस्सा थे। वर्मा ने हालांकि बुधवार को सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। उनकी याचिका पर न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई के लिये सहमत हो गया है।
एजेंसी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप
केंद्र पर निशाना साधते हुए वर्मा ने दावा किया कि ‘‘रातोंरात’’ उन्हें दी गई जिम्मेदारियों को वापस ले लिया जाना एजेंसी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है। याचिका में उन्होंने कहा कि सीबीआई से अपेक्षा की जाती है कि वह पूरी तरह से स्वतंत्र और स्वायत्तता के साथ काम करे और ऐसी स्थिति में कुछ ऐसे अवसर भी आते हैं जब उच्च पदाधिकारियों के मामलों की जांच वह दिशा नहीं लेती जिसकी सरकार अपेक्षा करती हो। वर्मा ने कहा कि केन्द्र और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का कदम पूरी तरह से गैरकानूनी है और ऐसे हस्तक्षेप से इस प्रमुख जांच संस्था की स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता का क्षरण होता है।
सरकार का यह कदम सीवीसी की वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेजने और उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिये एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की सिफारिश के कुछ घंटों बाद आया। के वी चौधरी की अध्यक्षता वाले सीवीसी के पास भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआई पर अधीक्षण होता है।
वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बचाव किया
सीबीआई में रातोंरात किये गए बदलाव को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार की आलोचना की तो सरकार की कार्रवाई का वित्त मंत्री अरूण जेटली ने बचाव किया। अरूण जेटली ने बुधवार को कहा कि सीबीआई के प्रमुख अधिकारियों को हटाने का निर्णय सरकार ने केंद्रीय सर्तकता आयोग (सीवीसी) की सिफारिशों के आधार पर लिया।
आरोपों की जांच विशेष जांच दल करेगा
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एजेंसी की संस्थागत ईमानदारी और विश्वसनीयता को कायम रखने के लिए यह अत्यंत आवश्यक था। आरोपों की जांच विशेष जांच दल करेगा और अंतरिम उपाय के तौर पर जांच के दौरान दोनों को अवकाश पर रखा जाएगा। उन्होंने बताया कि दोनों अधिकारियों को अंतरिम तौर पर अवकाश पर भेज दिया गया है। जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि सीवीसी को दोनों अधिकारियों द्वारा एक दूसरे पर लगाए आरोपों की जानकारी मिली थी जिसके बाद उसने बीती शाम ये सिफारिश की थी क्योंकि आरोपियों या संभावित आरोपियों को उनके ही खिलाफ की जा रही जांच का प्रभारी नहीं होने दिया जा सकता।
कामकाज का माहौल दूषित हुआ
सरकार की ओर से एक विस्तृत बयान जारी कर कहा गया कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा सीवीसी के कामकाज में इरादतन बाधा खड़ी की गई जो उनके खिलाफ की गई भ्रष्टाचार की शिकायतों को देख रहा था, और इसके साथ ही अपने अधीनस्थ राकेश अस्थाना के साथ "गुटबंदी वाले टकराव" की वजह से सरकार द्वारा दोनों अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया। इसमें कहा गया कि वर्मा और अस्थाना के बीच मचे घमासान की वजह से एजेंसी में कामकाज का माहौल दूषित हुआ।
बयान में कहा गया, ‘‘सीबीआई के वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा एक-दूसरे के खिलाफ लगाए गए भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों ने संगठन के कार्यालयी परितंत्र को दूषित किया है। इन आरोपों का मीडिया में भी काफी जिक्र हुआ।’’ बयान में कहा गया कि सीबीआई में गुटबंदी का माहौल अपने चरम पर पहुंच गया है जिससे इस प्रमुख संस्था की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को गहरा आघात पहुंचा।
सीबीआई की स्वतंत्रता में ‘‘आखिरी कील’’: कांग्रेस
कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों ने वर्मा के खिलाफ की गई कार्रवाई के लिये सरकार की आलोचना की। कांग्रेस ने इसे सीबीआई की स्वतंत्रता में ‘‘आखिरी कील’’ ठोकने की कार्रवाई बताया। आरोपों को धार देते हुए राहुल ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे। उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया।’’ जेटली ने हालांकि राफेल से इसके जुड़े होने के आरोपों को ‘‘बकवास’’ करार देकर खारिज कर दिया। गांधी ने राजस्थान में एक चुनावी रैली में भी वर्मा को हटाए जाने को लेकर सरकार पर अपने आरोपों को दोहराया।
अस्थाना के खिलाफ एफआईआर की जांच के लिये नई टीम
अंतरिम सीबीआई प्रमुख ने अस्थाना के खिलाफ एफआईआर की जांच के लिये एक नई टीम बनाई है। जांच एजेंसी ने सतीश सना के बयान के आधार पर 15 अक्टूबर को यह प्राथमिकी दर्ज की थी। सना ने आरोप लगाया था कि उसने सीबीआई द्वारा की जा रही एक जांच में क्लीन चिट पाने के लिये एक बिचौलिये के जरिये घूस दी थी। सीबीआई के एक आदेश में कहा गया कि नई टीम में पुलिस अधीक्षक सतीश डागर और उनके वरिष्ठ डीआईजी तरूण गौबा होंगे जो संयुक्त निदेशक वी मुरुगेशन को रिपोर्ट करेगी। अस्थाना के खिलाफ मामले की जांच कर रहे ए के बस्सी को ‘‘लोकहित’’ में तत्काल प्रभाव से पोर्ट ब्लेयर भेज दिया गया।