भारत में नियुक्त अधिकारियों की पहचान सार्वजनिक नहीं कर सकते, गूगल ने अदालत से कहा
अमेरिकी कंपनी गूगल एलएलसी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि भारत में नियुक्त अपने अधिकारियों के नाम एवं पहचान का वह सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं कर सकती है।
नयी दिल्ली। अमेरिकी कंपनी गूगल एलएलसी ने दिल्ली उच्च न्यायालय से कहा है कि भारत में नियुक्त अपने अधिकारियों के नाम एवं पहचान का वह सार्वजनिक रूप से खुलासा नहीं कर सकती है। गूगल ने कहा कि वह ऐसा इसलिए नहीं कर सकती कि उन्हें कानून के मुताबिक (ऑनलाइन उपलब्ध) अवैध सामग्री हटाने के लिये सरकारी अधिकारियों के साथ समन्वय के लिये नियुक्त किया गया है। अमेरिकी कंपनी ने कहा कि नियुक्त किये गये अधिकारियों के नाम एवं पहचान का खुलासा करने से उन्हें नियुक्त करने का उद्देश्य प्रतिकूल रूप से प्रभावित होगा क्योंकि उन्हें अपने राह से भटकाया जाएगा और उनके कार्य करने में बाधा डाली जाएगी। इससे सरकार के तत्काल अनुरोध पर समय पर एवं प्रभावी प्रतिक्रिया करने की उनकी क्षमता घट जाएगी।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) विचारक के.एन. गोविंदाचार्य द्वारा दायर एक जनहित याचिका के जवाब में गूगल ने अपने हलफनामे में यह कहा है। याचिका के जरिये गूगल, फेसबुक और ट्विटर को भारत में नियुक्त अपने अधिकारियों के बारे में सूचना का खुलासा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) नियमों के तहत करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। अधिवक्ता विराग गुप्ता के मार्फत दायर याचिका में दावा किया गया है कि नियुक्त अधिकारियों के ब्योरे के अभाव में न्याय के क्रियान्वयन के लिये कोई स्पष्ट तंत्र नहीं है।
वहीं, गूगल ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि ना तो आईटी अधिनियम और ना ही इसके तहत बनाये गये नियम उसे नियुक्त अधिकारियों को अधिसूचित करने का निर्देश देते हैं। कंपनी ने कहा कि उनमें सिर्फ यह कहा गया है कि इस तरह के अधिकारी सरकारी प्राधिकारों के साथ समन्वय के लिये रखे जाएंगे। गूगल ने कहा कि उसकी सेवाओं के उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के निवारण के लिये एक शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त किया गया है, जिनका ब्योरा सार्वजनिक रूप से गूगल के एक लिंक पर उपलब्ध है। गोविंदाचार्य ने केंद्र को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया है कि तीनों साइटों पर प्रसारित किये जाने वाले फर्जी खबरों और नफरत भरे बयानों को हटाना सुनिश्चित किया जाए।
सर्च इंजन और यू ट्यूब जैसी सेवाएं उपलब्ध कराने वाली गूगल ने सामग्री के मनमाने नियमन के याचिकाकर्ता के दावे से इनकार किया और कहा कि उसके पास नीतियों की एक सूची है, जो स्पष्ट रूप से आपत्तिजनक एवं अनुचित सामग्री का नियमन करती है। इसने यह भी कहा कि नफरत भरे बयान या फर्जी खबरों पर उसकी नीतियों का उल्लंघन करने वाली किसी भी सामग्री को हटा दिया जाता है तथा ऐसा फिर से किये जाने पर संबद्ध अकाउंट को बंद कर दिया जाता है।
इसने याचिकाकर्ता के इन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि गूगल इंडिया ने कर के भुगतान से बचने के लिये अपने पूरे राजस्व का खुलासा नहीं किया है। साथ ही, इस बात से भी इनकार किया कि गूगल एलएलसी ने भाारतीय नागरिकों के निजी डेटा अवैध रूप से हासिल किये हैं या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े किसी डेटा का अवैध रूप से खुलासा कर दिया है। कंपनी ने कहा, ‘‘ये आरोप झूठे, बेबुनियाद और इसकी वैश्विक छवि और कारोबार को नुकसान पहुंचाने की कोशिश हैं।’