कोलकाता: कलकत्ता हाईकोर्ट ने पंचायत चुनाव में नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया एक दिन बढ़ाने के खुद के आदेश को रद्द करने पर राज्य चुनाव आयोग (SEC) के फैसले पर आज नाखुशी जताई और पश्चिम बंगाल में जारी पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। अदालत ने राज्य चुनाव आयोग की इस दलील को अस्वीकार कर दिया कि भाजपा की याचिका सुनवाई योग्य नहीं है। अदालत ने कहा कि राज्य निर्वाचन आयोग के पास चुनाव कराने संबंधी शक्तियां हैं लेकिन किसी भी प्रकार का भटकाव होने की स्थिति में अदालत द्वारा इसे दुरूस्त किए जाने की जरूरत है।
जस्टिस सुब्रत तालुकदार ने पश्चिम बंगाल में चल रही चुनाव प्रक्रिया पर अगले आदेश तक रोक लगा दी। जस्टिस तालुकदार ने राज्य निर्वाचन आयोग से सोमवार तक चुनाव प्रक्रिया पर व्यापक स्थिति रिपोर्ट, दाखिल नामांकनों की संख्या और खारिज किये गये नामांकनों के प्रतिशत के बारे में विस्तृत जानकारी तथा अन्य सूचनाएं मांगी हैं।
अदालत ने कहा कि वह राज्य निर्वाचन आयोग के नौ अप्रैल के आदेश को वापस लेने संबंधी उसके फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 अप्रैल को सुनवाई करेगी। राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन दाखिल करने के लिये एक दिन का समय बढ़ा दिया था लेकिन इसे बाद में वापस ले लिया था। भाजपा ने आयोग द्वारा पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की मियाद एक दिन बढ़ाने के लिए नौ अप्रैल को जारी अधिसूचना को 10 अप्रैल को वापस लेने के फैसले को चुनौती दी है। नामांकन दाखिल करने का समय नौ अप्रैल दोपहर तीन बजे तक था।
जस्टिस तालुकदार ने कहा कि नामांकन की तारीख बढ़ाकर आयोग ने विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की शिकायतों को मान लिया था। उन्होंने कहा कि बहरहाल , आदेश को मनमाने तरीके से वापस लिया गया है। जस्टिस तालुकदार ने भाजपा के प्रतिनिधि प्रताप बनर्जी के आचरण पर भी नाखुशी जताई , जिन्होंने भाजपा की ओर से याचिका दायर की है। जस्टिस तालुकदार ने गुमराह करने के आरोप में भाजपा पर पांच लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। उन्होंने कहा कि भाजपा ने एक ही राहत के लिये हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की और उसका यह आचरण ‘एक मंच से दूसरे मंच कूदने’ जैसा है।
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