नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डॉक्टरेट ऑफ लिटरेचर यानी डी लिट की मानद डिग्री दी जाए या नहीं इसपर हाईकोर्ट आज अपना फैसला देगा। ममता बनजी को डिग्री देने के फैसले का एक पूर्व वाइस चांसलर ने विरोध किया है। पूर्व वाइस चांसलर की दलील है कि डी-लिट की डिग्री देने की वजह साफ़ नहीं है। वहीं राज्य सरकार इसे राजनीति से प्रेरित बता रही है।
ममता बनर्जी को कोलकता यूनिवर्सिटी से मिलने वाली डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डिलीट) की मानद उपाधि के मामले में आज हाईकोर्ट सुनवाई करेगा। आपको बता दें कि गुरुवार को ममता बनर्जी को मानद उपाधि दी जानी है। पश्चिम बंगाल विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर रंजू गोपाल मुखोपाध्याय ने हाईकोर्ट में दाखिल अपनी याचिका में कहा है कि बनर्जी इस डिग्री के लिए 'अयोग्य' है और यूनिवर्सिटी ने उन्हें यह डिग्री देने का निर्णय मनमाने और उचित तर्क से रहित है।
वहीं पश्चिम बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट में कहा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डी लिट की देने के कलकत्ता य़ूनिवर्सिटी के फैसले को चुनौती देने वाली जनहित याचिका राजनीति से प्रेरित है। कोलकता यूनिवर्सिटी अपने दीक्षांत समारोह में संस्थान की छात्रा रहीं ममता बनर्जी को डी लिट की उपाधि प्रदान करेगा।
महाधिवक्ता किशोर दत्ता ने हाईकोर्ट की एक पीठ के समक्ष कहा कि मानद उपाधि देने का फैसला कोलकता यूनिवर्सिटी के सीनेट और सिंडिकेट ने किया है। उन्होंने कहा कि इस याचिका को जनहित याचिका नहीं मानना चाहिए और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। याचिकाकर्ता रंजूगोपाल मुखर्जी ने दावा किया कि उपाधि देने का फैसला मनमाना और अपारदर्शी है।
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