मुंबई: शिवसेना के मुखपत्र सामना ने श्रीलंका की सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर बुर्के पर पाबंदी लगाने के निर्णय का स्वागत करते हुए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार से सवाल किया है, ‘‘रावण की लंका में हुआ, राम की अयोध्या में कब होगा?’’ हालांकि पार्टी की एक नेता ने कहा कि यह संपादकीय पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं है।
सामना ने अपने ताजा संपादकीय में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से श्रीलंका के राष्ट्रपति के कदमों का अनुसरण करने तथा भारत में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बने बुर्का एवं चेहरों को ढंकने वाले अन्य परिधानों पर पाबंदी लगाने की नसीहत दी है। संपादकीय में बुर्के पर पाबंदी लगाने के श्रीलंका के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा गया, ‘‘ऐसा घोषित करके श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रिपाल ने साहस और धैर्य का दर्शन कराया है। रावण की लंका में जो हुआ वो राम की अयोध्या में कब होगा? प्रधानमंत्री मोदी आज अयोध्या निकले हैं, इसलिए यह सवाल।’’
मोदी ने बुधवार को अयोध्या जिले के गोसाईंगंज में एक चुनावी सभा को संबोधित किया। संपादकीय में कहा गया कि फ्रांस, न्यूजीलैंड, आस्ट्रेलिया एवं इंग्लैंड बुर्के पर प्रतिबंध लगा चुके हैं। ‘‘फिर इस बारे में हिंदुस्तान पीछे क्यों?’’ इसमें कहा गया कि यह कार्य (बुर्के पर प्रतिबंध) उतना ही साहसी काम होगा जितना की सर्जिकल स्ट्राइक।
संपादकीय पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एआईएमआईएम नेता असादुद्दीन ओवैसी ने शिवसेना पर प्रहार किया और कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में परिधानों के पीछे पड़ने की नहीं मानसिकता के पीछे पड़ने की जरूरत होती है। ओवैसी ने कहा कि संपादकीय धन देकर खबर छापने (पेड न्यूज) की श्रेणी में आती है और चुनाव आयोग द्वारा लागू की जा रही आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन है। चुनाव आयोग को इस मामले पर गौर करना चाहिए।
इस बीच शिवसेना की वरिष्ठ नेता एवं विधान पार्षद नीलम गोह्रे ने कहा कि यह पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘शिवसेना का रुख पार्टी नेताओं की बैठक में तय होता है तथा उसे पार्टी अध्यक्ष अपनी अनुमति देते हैं। आज के संपादकीय के रुख पर न तो पार्टी में चर्चा हुई और न ही उद्धव ठाकरे ने ऐसा कोई निर्देश दिया है।’’
पार्टी नेता ने एक बयान में कहा, ‘‘यह वैयक्तिक राय हो सकती है..यह शिवसेना का आधिकारिक रुख नहीं है।’’
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