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Hindi News भारत राष्ट्रीय जेटली ने बजट से पहले पढ़ा एक शेर और इस बार भी कांग्रेस को कोसा

जेटली ने बजट से पहले पढ़ा एक शेर और इस बार भी कांग्रेस को कोसा

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण की पुरानी रवायत को दोहराते हुए एक जोरदार शेर पढ़ा, लेकिन इस बार भी उनके शेर में कुछ नयापन होने के बजाए, कांग्रेस पर प्रहार वाला अंदाज ही नजर आया।

Arun Jaitley - India TV Hindi Arun Jaitley

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट भाषण की पुरानी रवायत को दोहराते हुए एक जोरदार शेर पढ़ा, लेकिन इस बार भी उनके शेर में कुछ नयापन होने के बजाए, कांग्रेस पर प्रहार वाला अंदाज ही नजर आया। बस फर्क इतना सा रहा कि वो अब बात को फूल और कांटों से आगे बढ़ाकर नदी-पतवार और मझधार तक ले आए हैं। आप अगर इन दोनों शेरों को बारीकी से देखें तो इसमें आशावादिता के बजाए निराशावादिता का बहाना ज्यादा झलकता है। सिर्फ शेर की लाइने बढ़ गई हैं, शब्द एवं उपमाएं बदल गई हैं मगर पूर्व सरकार से तल्खी और उसके प्रयासों पर व्यंग का अंदाज वही का वही है। विपक्ष की आलोचनाओं को दबाने और अपनी योजनाओं को काफी हद तक सफल बताने का यह तीखा अंदाज सत्तापक्ष को पसंद आया।  

साल 2016-17 के भाषण में जेटली ने पढ़ा यह शेर

कश्ती चलाने वालों ने जब हार के दी पतवार हमें।
लहर-लहर तूफान मिले और मौज-मौज मझधार हमे,
फिर भी दिखाया है हमने और फिर ये दिखा देंगे सबको
इन हालात में आता है दरिया करना पार हमे।।

साल 2015-16 के बजट में जेटली ने पढ़ा था ये शेर

कुछ तो फूल खिलाए हमने कुछ और फूल खिलाने हैं।
मुश्किल ये है बाग में अब तक, कांटे कई पुराने हैं।।

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