Aero India 2021: चालबाज चीन होगा पस्त! इन बेहद खास मिसाइलों को मित्र देशों को निर्यात करेगा भारत
चीन विरोधी देशों को भारत एक-एक कर नई मिसाइलों से लैस कर उन्हें ताकतवर बनाने की नीति पर काम कर रहा है, इस तरह से भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीनी खतरे को जड़ से समाप्त करने के प्रयास में लगा हुआ है।
नई दिल्ली। भारत आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ अपने उन मित्र देशों को मजबूत करना चाहता है जो चीन की आक्रामकता की वजह से प्रभावित हैं। इन चीन विरोधी देशों को भारत एक-एक कर नई मिसाइलों से लैस कर उन्हें ताकतवर बनाने की नीति पर काम कर रहा है, इस तरह से भारत हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीनी खतरे को जड़ से समाप्त करने के प्रयास में लगा हुआ है। आप भी जानिए कि आखिर वो कौन सी मिसाइल हैं जिन्हें भारत अपग्रेड कर अपनी क्षमता को और भी मजबूत कर रहा है और वो कौन सी ऐसी मिसाइलें हैं जिन्हें भारत चीन को पस्त करने के लिए अपने मित्र देशों को निर्यात करेगा। बेंगलुरु में चल रहे एशिया के सबसे बड़े एयरो शो एयरो इंडिया 2021 में इन सभी मिसाइल को दिखाया गया है। इंडिया टीवी संवाददाता टी राघवन की इस एक्सक्लुसिव रिपोर्ट से आपको अंदाजा लग जाएगा कि मिसाइल पॉवर से भारत कैसे दुनिया में महाशक्ति बनने जा रहा है।
DRDO ने एयरो इंडिया 2021 में पेश की कई मिसाइलें
डिफेंस रिसर्च डिवेलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी DRDO ने एयरो इंडिया 2021 में सरफेस टू एयर, एयर टू एयर एंड सी टू एयर मार करने वाली मिसाइलों के कई संस्करण पेश किए हैं, जिनमें अस्त्र, एलआरएसएएम, क्यूआरएसएएम शामिल है। अस्त्र मिसाइल का हवा से हवा में मार करने वाला संस्करण, नई पीढ़ी की एंटी रेडिएशन मिसाइल (एनजीएआरएम) और स्मार्ट एंटी एयरफील्ड वेपन (एसएएडब्ल्यू) को एयरो शो में दिखाकर भारत को आँख दिखाने दुश्मन देशों को आगाह कर दिया है।
जानिए सुपर सोनिक ब्रह्मोस क्रूस मिसाइल के बारे में
मिसाइल की बात हो तो सबसे पहले जिक्र ब्रह्मोस का आता है, ब्रम्होस भारत का ब्रम्हास्त्र है जिसका वार कभी खाली नहीं जाता। सुपर सोनिक ब्रह्मोस क्रूस मिसाइल सर्वाधिक खतरनाक एवं प्रभावी शस्त्र प्रणाली है, यह न तो रडार की पकड़ में आती है और न ही दुश्मन इसे बीच में भेद सकता है। एक बार दागने के बाद लक्ष्य की तरफ बढ़ती इस मिसाइल को किसी भी अन्य मिसाइल या हथियार प्रणाली से रोक पाना असंभव है, 300 किलोग्राम वजन के हथियार को ले जाने में सक्षम इस मिसाइल को मोबाइल करियर से भी लांच किया जा सकता है। ब्रह्मोस मिसाइल का परीक्षण पोखरण क्षेत्र में कई बार किया जा चुका है। हाल ही में इस मिसाइल में कुछ सुधार कर इसकी क्षमता को भी बढ़ाया गया है। इसे समुद्र और सतह के साथ हवा से भी दागा जा सकता है। इसकी अधिकतम गति 2.8 मैक अर्थात ध्वनि की गति से लगभग तीन गुनी अधिक है। मौजूदा ब्रम्होस मिसाइल फिलहाल सुखोई जैसे बड़े लड़ाकू विमानों के लिए बनी है लेकिन भारत ने अपने हवाई जंगी बेड़े के फायर पॉवर को और घातक बनाने के लिए हल्के लड़ाकू विमानों के लिए ब्रम्होस को तैयार करने का काम शुरू कर दिया गया है। इसे ब्रम्होस नेक्स्ट जनरेशन यानि ब्रम्होस NG का नाम दिया गया है। ब्रम्होस एरोस्पेस के MD डॉ सुधीर मिश्रा ने ब्रह्मोस NG के बारे में कई अहम जानकारियां दी है। दुनिया के सबसे घातक मिसाइल्स की श्रेणी में गिनी जाने वाली ब्रम्होस मिसाइल भारत के लिए इतनी अहम है कि खुद चीफ ऑफ एयर स्टाफ RKS भदौरिया ब्रम्होस NG का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
घातक एंटी रेडिएशन रुद्रम-1 मिसाइल की जानिए खूबियां
भारत की मिसाइल पॉवर को मजबूत करने वाली घातक एंटी रेडिएशन रुद्रम-1 मिसाइल भी है, जिसे पहली बार एयरो शो 2021 में दिखाया गया है। वायु सेना के सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान के जरिए एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम-1 की मारक क्षमता 200 किलोमीटर तक की है और इस रेंज में आने वाले अपने लक्ष्य को यह मिसाइल तहस नहस करने में सक्षम है। रुद्रम-1 के बारे में बताया जा रहा है कि दुश्मनों के रडार भी इससे नहीं बच सकते। रूद्रम मिसाइल को अभी सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमान के साथ इस्तेमाल करने के लिए बनाया गया है। बीते वर्ष अक्टूबर में इसका सफल परीक्षण भी किया गया था। भविष्य में इसे मिराज 2000, जैगुआर, एचएएल तेजस और एचएएल तेजस मार्क 2 के साथ भी इस्तेमाल किया जा सकता है। भारत में बनाई गयी यह पहली ऐसी मिसाइल है, जो किसी भी ऊंचाई से दागी जा सकती है। ये मिसाइल किसी भी तरह के सिग्नल और रेडिएशन को पकड़ सकती है। साथ ही अपने राडार में लाकर ये मिसाइल टारगेट को नष्ट कर सकती है।
ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को भी खरीदने में कई देशों ने दिखाई रुचि
अपनी आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के साथ साथ भारत दुनिया में खुद को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने की कोशिश में भी लग गया है। ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को भी खरीदने में कई देशों ने रुचि दिखाई है। सरकार के इस निर्णय के बाद रक्षा जगत में भारत का रुतबा पूरी दुनिया में बढ़ जाएगा। इससे भारत को दुनिया में स्वयं को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी। मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना चाहती है, इसीलिए वह बड़े पैमाने के रक्षा निर्यात पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है। सरकार चाहती है कि भारत का रक्षा निर्यात पांच अरब डॉलर तक सालाना हो जाए, उसने इसे पूरा करने के लिए एक समिति का भी गठन किया है, ताकि विभिन्न देशों में रक्षा निर्यात की संभावनाओं को तलाशा जा सके। अभी तक दुनिया के रक्षा बाजार में भारतीय निर्यात काफी कम है भारत सरकार ने 2025 तक 35,000 करोड़ रुपए के रक्षा उत्पाद निर्यात करने का लक्ष्य रखा है और इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए अलग अलग रक्षा उत्पादों के साथ ब्रह्मोस मिसाइल और आकाश मिसाइल को भी मित्र देशों को एक्सपोर्ट करने का फैसला कर लिया गया है।
आकाश मिसाइल के निर्यात को सरकार ने मंजूरी दी
अब हम आपको आकाश मिसाइल के बारे में बताते हैं। आकाश को वायु सेना में वर्ष 2014 में और थल सेना में वर्ष 2015 में शामिल किया गया था। आकाश मिसाइल की तकनीक एवं विकास 96 प्रतिशत स्वदेशी है, पिछले दिनों विश्व के जिन देशों में रक्षा प्रदर्शनियां आयोजित हुई हैं उनमें आकाश मिसाइल को लेकर कई देशों ने रुचि दिखाई है। इसी वजह से इस मिसाइल के निर्यात को सरकार ने मंजूरी दी। ये तय है कि आकाश और ब्रम्होस मिसाइल की बिक्री से वैश्विक रक्षा बाजार में भारत की भागीदारी बढ़ जाएगी। फिलहाल आकाश मिसाइल की खरीद में दक्षिण एशिया के नौ देशों एवं अफ्रीकी मित्र देशों ने रुचि दिखाई है। कुछ मित्र देशों ने आकाश मिसाइल के अतिरिक्त तटीय निगरानी प्रणाली, रडार तथा एयर प्लेटफॉर्म को भी खरीदने में अपना रुझान दिखाया है। साथ ही हल्के लड़ाकू विमान, हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें इस लिस्ट में शामिल हैं। वियतनाम सहित दक्षिण पूर्व एशिया के अधिकांश देश दक्षिण चीन सागर पर चीन की दबंगई को खुलेआम चुनौती दे रहे हैं। फिलीपींस तो अब चीन को साफ शब्दों में कह चुका है कि वह उसके किसी भी दुस्साहस पर उससे उसी ढंग से निपटेगा, ऐसे देशों को भारतीय मदद उन्हें और ताकतवर बनाएगी।
रक्षा जगत में भारत का रुतबा पूरी दुनिया में बढ़ेगा
आकाश के अलावा भारत-रूस के संयुक्त प्रयास से निर्मित ब्रह्मोस मिसाइल सिस्टम को भी खरीदने में कई देशों ने रुचि दिखाई है। वियतनाम चीन से बचाव के लिए इसे खरीदना चाहता है। इस अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम को बेचने के लिए भारत की नजर में वियतनाम के अतिरिक्त 15 अन्य देश भी हैं। वियतनाम के बाद फिलहाल जिन देशों से बिक्री की बातचीत चल रही है उनमें इंडोनेशिया, दक्षिण अफ्रीका, चिली, ब्राजील, फिलीपींस, मलेशिया, थाईलैंड और संयुक्त अरब अमीरात शामिल हैं। कुल मिलाकर सरकार के इस निर्णय के बाद रक्षा जगत में भारत का रुतबा पूरी दुनिया में बढ़ जाएगा। इससे भारत को दुनिया में स्वयं को एक महाशक्ति के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी।