चीन ने चोरी-छिपे तैनात किए 3000 चीनी सैनिक, नहीं बच पाए ड्रोन की नजर से
वहीं भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध के बीच अमेरिका की एक पूर्व राजनयिक ने कहा है कि चीन को यह मान लेना चाहिए कि भारत एक ऐसी शक्ति है, जिसके साथ तालमेल बैठाना जरूरी है और बीजिंग के व्यवहार के कारण क्षेत्र के देश प्रभावित हो रहे हैं।
नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिकों के बीच सिक्किम बॉर्डर पर तनातनी बढ़ती जा रही है। करीब एक महीने से 350 भारतीय सैनिक चीन के सैनिकों का सामना कर रहे हैं। एक अंग्रेजी वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना के ड्रोन ने पता लगाया है कि चीन की बॉर्डर पर हथियारों से लैस करीब 3000 से ज्यादा सैनिक जमा हैं। इसके चलते भारत भी अपनी सैनिकों की संख्या बढ़ानी शुरू कर दी है। ये भी पढ़ें: दलालों के चक्कर में न पड़ें 60 रुपए में बन जाता है ड्राइविंग लाइसेंस
दरअसल 6 जून से शुरू हुए इस टकराव के बाद से ही नई दिल्ली और बीजिंग में बातचीत जारी है, लेकिन ग्राउंड जीरो पर नजारा बिल्कुल अलग है। अंग्रेजी वेबसाइट की खबर के मुताबिक, बॉर्डर पर तो दोनों देशों के कुछ ही सैनिक आमने-सामने हैं लेकिन भारतीय सेना ने जो ड्रोन से देखा है उससे साफ दिखता है कि कुछ ही दूरी पर चीन ने लगभग 3000 से ज्यादा सैनिक खड़े किए हुए हैं जो कि हथियारों के साथ तैयार हैं। वहीं भारत ने भी इसके जवाब में पुख्ता तैयारी की है और अपने सैनिक भी खड़े किए हैं।
वहीं भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच जारी गतिरोध के बीच अमेरिका की एक पूर्व राजनयिक ने कहा है कि चीन को यह मान लेना चाहिए कि भारत एक ऐसी शक्ति है, जिसके साथ तालमेल बैठाना जरूरी है और बीजिंग के व्यवहार के कारण क्षेत्र के देश प्रभावित हो रहे हैं। पूर्व सहायक विदेश मंत्री (दक्षिण एवं मध्य एशिया) रह चुकीं भारतीय मूल की अमेरिकी निशा देसाई बिस्वाल ने एक साक्षात्कार में कहा, मुझे लगता है कि चीन को यह मान लेना चाहिए कि एशिया में रणनीतिक एवं सुरक्षात्मक क्षमता बढ़ रही है और निश्चित तौर पर भारत एक ऐसी शक्ति है, जिसके साथ तालमेल बैठाना जरूरी है।
बिस्वाल ओबामा प्रशासन के दूसरे कार्यकाल में दक्षिण एवं मध्य एशिया के लिए एक अहम व्यक्ति रही हैं। उन्होंने कहा कि चीन की ओर से विभिन्न सीमावर्ती बिंदुओं पर- समुद्र में एवं जमीन दोनों पर आक्रमक हरकतें की जा रही हैं एवं ऐसे संकेत भेजे जा रहे हैं।
उन्होंने कहा, मैं चीन की भावनाएं समझाती हूं और मुझे लगता है कि वह खुद को एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक प्रभावशाली देश के तौर पर पेश करने की कोशिश में है। मेरा मानना है कि चीन को यह बात मान लेनी चाहिए कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में देश उसके बर्ताव के कारण और उसके एकपक्षीय व्यवहार के कारण अस्थिरता का सामना कर रहे हैं। उन्होंने यकीन जताया कि दोनों देशों के नेता इस स्थिति को और अधिक बिगड़ने से रोकने में कामयाब रहेंगे।
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