नई दिल्ली: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने शुक्रवार को कहा कि वह बोफोर्स मामले की दोबारा जांच तभी कर सकती है, जब सुप्रीम कोर्ट या केंद्र सरकार आदेश दे। जांच एजेंसी की यह टिप्पणी एक संसदीय समिति के उस सुझाव के बाद आई है, जिसमें कहा गया है कि बोफोर्स मामले को फिर से खोलना चाहिए। संसदीय समिति ने गुरुवार को सुझाव दिया कि बोफोर्स तोप की खरीदारी में हुई अनियमितता के मामले को फिर से खोला जाना चाहिए, क्योंकि पिछली जांच में कई 'खामियां' हैं।
सीबीआई के प्रवक्ता आर.के.गौड़ ने आईएएनएस से कहा, "मामले की दोबारा जांच के लिए हमें अदालत या केंद्र सरकार के आदेश की जरूरत है। क्या एक समिति सीबीआई से एक जांच की सिफारिश कर सकती है।" बीजू जनता दल (बीजद) सांसद भर्तृहरि महताब की अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति (पीएसी) से जुड़ी रक्षा से संबंधित उप समिति ने सुझाव दिया कि मामले को दोबारा खोला जाना चाहिए।
समिति के एक सदस्य ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि समिति द्वारा यह सुझाव दिया गया है, क्योंकि यह महसूस किया गया है कि पिछली जांच में कई खामियां थीं।सीबीआई के निदेशक आलोक कुमार गुरुवार को समिति के समक्ष पेश हुए, जिनसे बोफोर्स सौदे में प्रणालीगत नाकामी (सिस्टेमेटिक फैल्योर) तथा शीर्ष राजनीतिज्ञों व अधिकारियों के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों की जांच करने को कहा गया।
सदस्य ने कहा, "उस वक्त सरकार मामले को बंद करना चाहती थी। जांच दोबारा शुरू करना सरकार तथा सर्वोच्च न्यायालय पर निर्भर करता है..समिति ने एक सुझाव दिया है।"रक्षा मंत्रालय से मामले से संबंधित फाइलों के गुम होने के बारे में पूछे जाने पर सदस्य ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि फाइलें अदालत में है।
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