40 दिनों से नहीं किया शव का अंतिम संस्कार, परिजनों ने प्रशासन के सामने रखी ये खास शर्त
छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र के मृत कर्मचारी के परिजनों ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर पिछले 40 दिनों से शव का अंतिम संस्कार नहीं किया है।
दुर्ग: छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले में स्थित भिलाई इस्पात संयंत्र के मृत कर्मचारी के परिजनों ने अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर पिछले 40 दिनों से शव का अंतिम संस्कार नहीं किया है। भिलाई इस्पात संयंत्र के सुरक्षा अभियांत्रिकी विभाग में अटेंडेंट के पद पर कार्यरत 57 वर्षीय कार्तिक राम की इस वर्ष चार जनवरी को मौत हो गई थी लेकिन परिजनों ने अभी तक शव का अंतिम संस्कार नहीं किया है। कार्तिक राम की पत्नी आसन बाई ने बताया कि पिछले वर्ष 26 नवंबर को कार्तिक राम की अचानक तबीयत खराब हुई तब उसे भिलाई के पंडित जवाहर लाल नेहरु अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि तबीयत में सुधार नहीं होने पर कार्तिक को अगले दिन 27 नवम्बर को रायपुर के रामकृष्ण अस्पताल भेज दिया गया।
आसन बाई ने बताया कि रायपुर में कुछ दिनों तक इलाज होने के बाद 11 दिसंबर को उन्हें वापस भिलाई के अस्पताल में भर्ती कराया गया। उन्होंने बताया कि यहां उनकी तबीयत में सुधार होने पर कार्तिक राम को 26 दिसंबर को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई लेकिन दूसरे दिन 27 दिसंबर को एक बार फिर तबियत बिगड़ने पर उन्हें पंडित जवाहर लाल नेहरू अस्पताल लाया गया और चार जनवरी को कार्तिक राम की मौत हो गई।
उन्होंने कहा, ‘‘अस्पताल के चिकित्सकों ने जानकारी दी है कि कार्तिक राम की दोनों किडनी ने काम करना बंद कर दिया था जिसके कारण उनकी मौत हुई।’’ आसन बाई ने कहा, ‘‘इस्पात संयंत्र के नियमों के अनुसार किसी कर्मचारी की किडनी खराब होने से मौत होने पर उनके आश्रित को अनुकम्पा नियुक्ति देने का प्रावधान है। इसलिए वह अनुकंपा नियुक्ति की मांग कर रहे हैं।’’ उन्होंने बताया कि जब तक एक आश्रित को अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाती है तब तक कार्तिक राम के शव का अंतिम संस्कार नहीं किया जाएगा। कार्तिक राम का शव अस्पताल के शव गृह में रखा हुआ है। इधर इस्पात संयंत्र के प्रबंधन का कहना है कि कार्तिक राम को 26 नवंबर को बुखार और कफ की समस्या के कारण जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय में भर्ती किया गया था।
प्रबंधन के अनुसार इसके बाद उन्हें रायपुर के रामकृष्ण केयर अस्पताल में भी इलाज के लिए भेजा गया और वापस जवाहर लाल नेहरु चिकित्सालय में भी उनका इलाज किया गया। प्रशासन ने कहा कि इलाज के दौरान चार जनवरी का उनकी मृत्यु हो गई। संयंत्र प्रबंधन का कहना है, ‘‘कार्तिक राम की मृत्यु मल्टी आर्गन डिस्फ़ंक्शन के कारण हुई है। पंडित जवाहरलाल नेहरु चिकित्सालय एवं अनुसन्धान केंद्र तथा चिकित्सा के लिए रेफर किये गए अस्पताल रामकृष्ण केयर अस्पताल के किसी चिकित्सा रिकॉर्ड में कार्तिक राम के किडनी संबंधी इलाज का कोई उल्लेख नहीं है। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह क्रानिक रीनल डिजीस के मरीज नहीं थे।’’
प्रबंधन का कहना है कि जिला प्रशासन की मौजूदगी में कार्तिक राम के परिजनों से प्रबंधन की बैठक हुई है और उन्हें स्पष्ट किया गया है कि नियमों के तहत कॉनिक रीनल फेल्यर ही अनुकंपा नियुक्ति के संदर्भ में मान्य होगी जबकि उनके चिकित्सा रिकॉर्ड में इसका कोई उल्लेख नहीं है। इधर दुर्ग जिले अपर कलेक्टर प्रकाश सर्वे का कहना है कि संयंत्र प्रबंधन और परिजनों के बीच मध्यस्थता के लिए कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन मामला नहीं सुलझा है। उन्होंने कहा कि शव की स्थिति भी लगातार खराब होती जा रही है और चिकित्सकों ने संक्रमण का ख़तरा बताया है। सर्वे ने कहा कि अब परिजनों को अंतिम नोटिस देकर प्रशासन खुद मृतक कार्तिक राम का अंतिम संस्कार करेगा।