बोडो समझौते से असम में शांति की नई सुबह हुई है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि लोगों के सहयोग के कारण ही बोडो शांति समझौता हुआ और असम में शांति की नयी सुबह हुई।
कोकराझार (असम): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि लोगों के सहयोग के कारण ही बोडो शांति समझौता हुआ, जो असम में शांति की नयी सुबह लेकर आया है। समझौते पर 27 जनवरी को हस्ताक्षर किए जाने का जश्न मनाने के लिए आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अब पूर्वोत्तर की शांति एवं विकास के लिए एक साथ मिलकर काम करने का वक्त है। गौरतलब है कि इस समझौते से अशांत राज्य में सदा के लिए शांति कायम होने की उम्मीद की जा रही है। मोदी ने कहा, ‘‘हम अब दोबारा हिंसा नहीं होने देंगे।’’ प्रधानमंत्री ने पूर्वोत्तर के उग्रवादियों, जम्मू-कश्मीर के आतंकवादियों और माओवादियों से, “बोडो उग्रवादियों से प्रेरणा लेने और मुख्यधारा में लौटने” की अपील की। उन्होंने नये नागरिकता कानून के लागू होने को लेकर क्षेत्र के लोगों की चिंताओं को भी दूर करने का प्रयास किया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘झूठी अफवाहें फैलाई जा रही है कि सीएए लागू होने के बाद बाहर के लाखों लोग यहां आ जाएंगे। मैं असम के लोगों को आश्वस्त करता हूं कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा।’’ उन्होंने कहा कि 1993 और 2003 में हुए बोडो समझौते असम के बोडो वर्चस्व वाले इलाकों में स्थायी शांति नहीं ला पाए थे। मोदी ने कहा, ‘‘नया बोडो समझौता समाज के सभी समुदायों और वर्गों की जीत है। कोई भी हारा नहीं है। इस समझौते पर हस्ताक्षर के बाद अब कोई मांग नहीं बची है।’’ सरकार ने असम के सबसे खतरनाक उग्रवादी समूहों में से एक नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के सभी धड़ों, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू), यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (यूबीपीओ) के साथ 27 जनवरी को एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत उन्हें राजनीतिक एवं आर्थिक लाभ देने की बात कही गई थी, लेकिन अलग राज्य या केंद्र शासित प्रदेश बनाने की नहीं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उच्च शक्ति वाली समिति के रिपोर्ट सौंपने के बाद असम समझौते की उपधारा छह को लागू करने के लिए केंद्र तेजी से काम करेगा। इस उपधारा में असम के लोगों की सांस्कृतिक, सामाजिक, भाषाई पहचान एवं संपदा को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए संवैधानिक, विधायी एवं प्रशासनिक संरक्षण देने का उल्लेख है। मोदी ने कहा कि इससे पहले किसी ने पूर्वोत्तर के लोगों की समस्या का समाधान नहीं किया और अशांति को जारी रहने दिया। उन्होंने कहा, “इस रुख ने क्षेत्र के लोगों को केंद्र से अलग-थलग रखा और उनका भारतीय लोकतंत्र एवं संविधान में विश्वास खत्म हो गया। पूर्वोत्तर कभी सिर्फ आर्थिक सहायता लेने वाला राज्य माना जाता था, लेकिन अब वह विकास का इंजन है।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार बनने के बाद 14वें वित्त आयोग के तहत क्षेत्र के आठ राज्यों के लिए केंद्र का कुल आवंटन बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये के आश्चर्यनजक स्तर पर पहुंच गया, जबकि 13वें वित्त आयोग के तहत यह राशि 90,000 करोड़ रुपये थी। मोदी ने कहा कि पूर्वोत्तर में लंबे समय तक सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा), 1958 लागू रहा लेकिन अब त्रिपुरा और राज्य के कई अन्य हिस्से इससे मुक्त हो गए हैं