BLOG: समाज को ऐसे कई 'विजय' की ज़रूरत है !
16 दिसम्बर 2012 की रात को भला कोई कैसे भूल सकता है, क्योंकि उस रात निर्भया के साथ दरिन्दों ने जो किया, वो अब भी हर रोज़ किसी ना किसी रूप में किसी और निर्भया के साथ हो रहा है।
16 दिसम्बर 2012 की रात को भला कोई कैसे भूल सकता है, क्योंकि उस रात निर्भया के साथ दरिन्दों ने जो किया, वो अब भी हर रोज़ किसी ना किसी रूप में किसी और निर्भया के साथ हो रहा है। निर्भया दरिन्दगी की शिकार तब हुई थी, जब उस आधी रात को एक ऑटो वाले ने उसकी मदद करने से मना कर दिया था, लेकिन निर्भया काण्ड के ठीक 6 साल से एक दिन पहले यानि 15 दिसम्बर को ऑटोचालक परम चन्द और उनके बेटे विजय की एक ज़िम्मेदार नागरिक होने की सोच ने एक सम्भावित घटना होने से बचा लिया।
बकौल परम चन्द एक स्कूली छात्रा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उनके ऑटो के पास आई और बोली की उसको मन्दिर घूमना है। परम चन्द लड़की को छत्तरपुर मन्दिर ले गये। फिर लड़की को इण्डिया गेट, पार्लियामेंट हाउस, राष्ट्रपति भवन वगैरह जगहों पर घुमाया। फिर लड़की ने कहा कि उसे भूख लगी है, किसी होटल में खाना खाना है। बंगाली मार्केट के एक होटल में खाना खाने के बाद लड़की थोड़ी दूर चलने के बाद ऑटो से उतर जाती है। फिर परम चन्द ने पूछा कि यहाँ क्या काम है? कहाँ जाना है? रात हो जाएगी, फिर क्या करोगी? फिर लड़की ने मण्डी हाउस पर उतारने को कहा। लड़की को मण्डी हाउस छोड़कर परम चन्द अपने घर चले गए। रात में परम चन्द ने घर पहुँचकर बेटे विजय को सारी बात बताई।
पिता की बात सुनकर विजय ने कहा कि आपको ऐसे लड़की को अकेले छोड़कर नहीं आना चाहिए था। आपने ग़लत किया है। चलिए चलकर उस लड़की को ढूंढते हैं। रात के 9 बजे विजय अपने पिता के साथ उस लड़की को ढूंढने निकल जाता है। काफ़ी मशक्कत के बाद लड़की अकेले बैठी नज़र आ जाती है। फिर दोनों लड़की के पास पहुँचकर काफ़ी देर तक बातचीत करते हैं। बातचीत के बाद विजय इस बात को लेकर आश्वस्त हो जाता है कि लड़की घर से भागी हुई है और घर से परेशान है। फिर विजय 100 नम्बर पर कॉल करके पुलिस को सूचित करता है। जिसके बाद पुलिस आकर उस लड़की को ले जाती है। काउंसलिंग में पता चला है कि लड़की प्रतापगढ़, यूपी से भागकर आई है और किसी बात को लेकर अपने परिवार से नाराज़ है। फिर पुलिस उसके परिवार वाले को सूचित कर देती है।
पेशे से होमगार्ड का जवान विजय का मानना है कि अगर हम अपने आप को अवेयर नहीं करेंगे, एक्टिव नहीं रहेंगे। लड़कियों के लिए लापरवाही बरतेंगे तो कभी भी कोई घटना घट सकती है। इसलिए एक नागरिक होने के नाते हम सब की ज़िम्मेदारी है कि हम अपनी ज़िम्मेदारियों को समझे।
काश! विजय की यह सोच हर नागरिक में समा जाती तो हर 12 मिनट पर एक महिला के साथ बलात्कार नहीं होता है। केन्द्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के साल 2016 के आंकड़ों के अनुसार महिलाओं से बलात्कार की घटनाओं में पिछले साल के मुक़ाबले 12% का इज़ाफा हुआ है। इसके अलावा अन्य हिंसाओं में 3% का इज़ाफा हुआ है। यह आंकड़ा साल दर साल बढ़ता जा रहा है। साल 2015 में रेप की 34,651 शिकायतें दर्ज हुई थी, जबकि साल 2016 में 38,947 शिकायतें दर्ज हुई। देश की राजधानी दिल्ली एक शहर और एक राज्य के रूप में रेप की घटनाओं में शीर्ष पर काबिज़ है। एक शहर के रूप में दिल्ली में साल 2016 में महिलाओं के प्रति अपराध की 13,803 घटनाएं हुई, जिसमें से रेप की 1996 घटनाएं घटी, जबकि एक राज्य के रुप में महिलाओं के प्रति 19,169 घटनाएँ घटी, जिसमें से रेप की 2155 घटनाएँ भी शामिल हैं।
लेखक आदित्य शुभम देश के प्रतिष्ठित चैनल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं