BLOG: इति रेवाखंडे '2020' अध्याय समाप्त
कोरोना वायरस संक्रमण के प्रकोप से पूरी दुनिया ने जो सीखा वो लाखों ख़र्च करके भी नहीं सीखा जा सकता। तमाम गिले शिकवे के साथ 2021 के स्वागत के लिए तैयार रहिए क्योंकि, 2021 अब आगे हैंडओवर लेने के लिए तैयार है। ये साल उम्मीदों का होने वाला है। उम्मीद सिर्फ़ हमें और आपको नहीं है, बल्कि देश, दुनिया, सरकार, किसान, मज़दूर, छात्र और नौकरी गवां चुके हज़ारों बेरोज़गारों को भी है।
क्या कहा जाए जिसका इंतज़ार था वो साल आ गया या फिर जिससे हम परेशान थे वो साल जाने वाला है? खै़र जो भी आपको अच्छा लगे कहिए लेकिन 2020 ख़त्म होने और कोरोना वैक्सीन की उम्मीद से दुनिया ने राहत की सांस ली है। उम्मीद है 2021 तमाम उम्मीदों पर खरा उतरेगा और हम जिन उम्मीदों को संजो कर रखे हैं 2020 उन्हें ज़रूर पूरा करेगा। जाते हुए साल और आने वाले साल दोनों की बधाई हमें ख़ुद को देनी चाहिए जैसे 2020 ने 2021 को बधाई देने की तैयारी कर ली है। चलिए आपको बताते हैं 2021 ने कैसे 2020 से हैंडओवर लिया।
2021 आने ही वाला था कि 2020 ने तपाक से पूछ लिया बताओ क्या हाल है? कैसे आना हुआ? खै़र छोड़ो क्या लाए हो ये बताओ। मुंह लटकाए खड़े 2021 ने जवाब दिया। क्या बताएं भाई साहब क्या हाल है। मत पूछो हाल...ये बेहाल है। सरकार लाचार है, किसान परेशान है, दुनिया को कोरोना का मलाल है, चारों तरफ़ अब वैक्सीन की बयार है, सर्द से बुरा हाल है। अब कोरोना मेरे हिस्से नहीं आए तो समझो ठीक ही हाल है।
2020 अपना दर्द बयां करते हुए 2021 से कहता है। दोस्त,आज तुम जो इतनी तानें सुना रहे हो ये नहीं कोई नई बात है। हुआ था हमारा भी स्वागत पलकों को बिछाकर पर क्या करें चीन ने किया मेरा ऐसा बुरा हाल है। आओ मेरे दोस्त आज सबको अब तुम्हारा इंतज़ार है क्योंकि सबको लगता है यही कि 2020 बेकार है। 2021 मुस्कुराते हुए कहता है..अच्छा भाई जो हुआ सो हुआ, लाओ मुझे हैंडओवर दो मैं आगे संभाल लूंगा।
आगे संभाल लूंगा से शुरू होता है 2021। इसकी जो सबसे पहली अच्छी बात है वो है उम्मीद। जी हां, उम्मीद है कि हमें कोरोना से छुट्टी मिल जाएगी। इसके अलावा भी हमें बहुत उम्मीदें हैं। उम्मीदें देश, दुनिया, सरकार, किसान, मज़दूर, विद्यार्थी, और नौकरी गवां चुके हजारों बेरोज़गारों को। ऐसा नहीं है कि 2020 ने हमें कुछ नहीं दिया। कई मायने में ये हमारे लिए बहुत अच्छा भी साबित हुआ है।
साम्राज्य बनाने के लिए सपने के नींव की नहीं, बल्कि बलिदान और संघर्ष की ज़रूरत
भले ही कोरोना महामारी आपदा के रूप में आई, लेकिन अवसरों का पूरा संसार छोड़ गई। जी हां 2020 ने हमें नयी चुनौतियों से लड़ना सिखाया। ऐसी चुनौतियां जो हमारे लिए बिन बुलाए मेहमान की तरह आयीं। इसमें कोई दो राय नहीं, कि कोरोना से दुनिया को काफ़ी आर्थिक नुक़सान पहुंचा है, लेकिन कोरोना ने हमें साफ़-सफ़ाई के कई ऐसे गुण भी दिए हैं जो हम बिना कुछ गंवाए नहीं सीख सकते थे। आपको जानकर हैरानी नहीं होनी चाहिए लेकिन रिपोर्ट बताती हैं कि दुनिया में बहुत सारे ऐसे लोग थे जो टॉयलेट करने के बाद हाथ तक नहीं धुलते थे लेकिन अब वो सुधर चुके हैं।
कहते हैं ना इतिहास में जो ग़लतियां होती हैं उनको सुधार कर आगे भविष्य को उज्जवल बनाया जा सकता है और हम सबको मिलकर यही करना होगा। जो ग़लतियां इस साल की हैं, उन्हें सुधारना है। कहते हैं, साम्राज्य बनाने के लिए सपने के नींव की ज़रूरत नहीं, बल्कि उसके लिए बलिदान और संघर्ष की आवश्यकता होती है। आने वाले साल में हमें यही करना है, ख़ुद को मेहनत की आग में झोंकते हुए ख़ुद के साथ दूसरों का हाथ पकड़कर आगे बढ़ना है।
2021 ने कई मायने में बढ़ाई भारत की शान....अवसर छोड़ा
महामारी में भी भारत के लिए कुछ चीज़ें काफ़ी अच्छी साबित हुई हैं और हमारे देश ने नए कीर्तिमान रचे हैं। एक तरफ़ जहां दुनिया में प्रदूषण की वजह से जलवायु को काफ़ी ज़्यादा नुक़सान पहुंचता है, वहीं दूसरी तरफ़ हमने जलवायु परिवर्तन प्रदर्शन सूचकांक 2020 में सुधार करते हुए 9वां स्थान हासिल किया है, जो 2019 तुलना में काफ़ी अच्छा है। इस सुधार से दुनिया कि निगाह भारत की तरफ़ अब बेशक अदब के साथ उठेंगी।
जहां एक तरफ़ लॉकडाउन से पूरी दुनिया को काफ़ी आर्थिक नुक़सान हुआ है वहीं भारत ने ईज ऑफ़ डूइंग बिज़नेस की 2020 की रिपोर्ट में 14 पायदान की छलांग लगाते हुए 63वां स्थान हासिल किया। जिसका अर्थ है कि भारत में कारोबार करना पहले से आसान होगा और आगे व्यापार के अवसर खुलेंगे जो 2021 में भारत की अर्थव्यवस्था को बूस्ट करेंगे।
ब्लॉग लेखक आशीष शुक्ला इंडिया टीवी न्यूज चैनल में कार्यरत हैं। ब्लॉग में उनके निजी विचार हैं।