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Hindi News भारत राष्ट्रीय BLOG | चमकी बुखार: डॉ. हर्षवर्धन के वादों पर अमल हुआ होता तो बच्चों की मौत रुक सकती थी

BLOG | चमकी बुखार: डॉ. हर्षवर्धन के वादों पर अमल हुआ होता तो बच्चों की मौत रुक सकती थी

2014 में इसी अस्पताल में 20-22 जून के अपने दौरे के बाद डॉक्टर हर्षवर्धन ने एक ब्लॉग लिखा था और कुछ वादे किये थे।

Encephalitis - India TV Hindi Image Source : PTI Encephalitis 

#2019 में #2014 की बात हो रही है। वैसे इसमें हैरानी की कोई बात नहीं है और ना होनी चाहिए, क्योंकि एक नागरिक के रूप में हम इस रवायत के वाहक हैं। पिछले रविवार को मुज़फ़्फ़रपुर, बिहार के #SKMCH में केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री Dr. Harshvardhan  चमकी बुखार (इंसेफेलाइटिस) से बीमार बच्चों का हाल जानने के बाद मीडिया से बातचीत में जो बात कही, वही बात विपक्षी दलों और आम लोगों के लिए चर्चा का विषय बना हुआ है। बात ये है कि 2014 में इसी अस्पताल में 20-22 जून के अपने दौरे के बाद डॉक्टर हर्षवर्धन ने एक ब्लॉग लिखा था। वो आज भी मौजूद है। चाहे तो पढ़ भी सकते हैं।

डॉक्टर हर्षवर्धन ने ब्लॉग के माध्यम से जो कहा था उसकी कुछ ज़रूरी बातें इस प्रकार है-
- #SKMCH में बच्चों के लिए 100 बिस्तर की व्यवस्था की जाएगी।
- मुज़फ़्फ़रपुर और दरभंगा में उच्चस्तरीय रिसर्च सेंटर क़ायम किया जाएगा।
- गया, भागलपुर, बेतिया, पावापुरी और नालन्दा में वायरोलॉजी लैब स्थापित किए जाएंगे।
- सौ फ़ीसद बच्चों का टीकाकरण होना चाहिए,एक भी नहीं छूटना चाहिए।
- मेडिकल कॉलेजों में सीटों की संख्या बढ़ेगी।
                                   
क्या आप जानते हैं कि मंत्री जी ने जो-जो बातें कही थी, वो इन पांच सालों में पूरे हो गये? शायद नहीं। मेरे ख़याल में इसकी एक मात्र वजह है कि लोगों का सियासत का शिकार हो जाना। ये बात मैं इसलिए कह रहा हूं कि रिसर्च के दौरान मैंने कहीं नहीं पाया कि मंत्री जी ने जो वादे किए थे, उसको लेकर सालभर, दो साल या तीन साल बाद भी शुरू ना होने की वजह से लोग विरोध के लिए अपने घरों से बाहर आए थे।

हमारे मुल्क में ऐसी परम्परा है कि एक मंत्रालय में शायद ही कोई मंत्री पांच साल बिताता होगा और अपने दृष्टिकोण के आधार पर काम कर पाता होगा, अपवाद को छोड़ दीजिएगा। यहां एक बात जोड़ना चाहता हूं कि पीएम Narendra Modi ने 2014 लोकसभा चुनाव प्रचार के दरमियान कहा था कि यदि हमारी सरकार बनेगी तो हमारे काम करने का तरीक़ा अलग होगा। मंत्री पद बदलने की व्यवस्था केन्द्र और राज्य दोनों में है। इसके कारण क्या हैं, ये अलग चर्चा का विषय है। तो इसी व्यवस्था का शिकार हुए थे डॉक्टर हर्षवर्धन। दौरे के बाद उनका मंत्रालय बदल गया था और जेपी नड्डा को हमारे मुल्क के स्वास्थ्य विभाग की ज़िम्मावारी सौंपी गई थी।

नड्डा जी ने एक स्वास्थ्य मंत्री होने के नाते, डॉक्टर हर्षवर्धन के वादों का कहीं ज़िक्र किया ऐसा कहीं पढ़ने को नहीं मिला। आप भी 2014 से अबतक #NEWINDIA की बातों में खोये रहें और #NEWINDIA का सपना दिखाने वाली हमारी सरकार भी। नतीजा ये हुआ कि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़ 'चमकी' बुखार से अबतक 140 से ज़्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। 2014 में 139 बच्चों की मौत हुई थी।

अब मैं यहां ये कहना चाहता हूं कि एक ज़िम्मेवार नागरिक बनिए, सियासत को किनारे रखिए। वरना बुनियादी सुविधाओं के अभाव में बच्चे मरते रहेंगे, और नेताओं के भी रस्मी दौरे चलते रहेंगे। इसलिए रस्मी दौरों और बातों के चक्कर में ना पड़िए, अपने विधायक, सांसद और मंत्रियों से अपनी बुनियादी ज़रूरतों की पूरा करने की मांग पर अड़े रहिए।

ब्लॉग लेखक आदित्य शुभम अग्रणी न्यूज चैनल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं और इस ब्लॉग में व्यक्त उनके निजी विचार हैं।

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