नई दिल्ली: बिहार के मुजफ्फरपुर की एक अदालत में पूर्व क्रिकेटर और पंजाब के मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू पर राजद्रोह का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ भादवि की विभिन्न धाराओं के तहत कार्रवाई किए जाने की मांग करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा चलाए जाने को लेकर आज एक परिवाद पत्र दायर किया गया है। वकील सुधीर कुमार ओझा ने उक्त परिवाद पत्र मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी हरि प्रसाद की अदालत में भादवि की धारा 124 ए, 153 बी, और 504 के तहत दर्ज करायी है। अदालत ने इस मामले की सुनवाई की तारीख 24 अगस्त को तय की है।
सिद्धू गत 18 अगस्त को पाकिस्तान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने वहां गए थे और उस दौरान पाकिस्तानी जनरल कमर जावेद बाजवा को गले लगाया था। वहीं सैन्य प्रमुख को गले लगाने के लिए आलोचनाओं का सामना कर रहे सिद्धू ने इसका बचाव करते हुए पूछा कि अगर कोई कहे कि हमारी संस्कृति एक है और ऐतिहासिक गुरूद्वारा करतारपुर साहिब का रास्ता खोलने की बात करे तो उन्हें क्या करना चाहिए था?
वह क्रिकेटर से नेता बने इमरान खान के न्यौते पर शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने गए अकेले भारतीय थे। वह पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के प्रमुख मसूद खान के बगल वाली सीट पर बैठे और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा को गले लगाते दिखाई दिए। बाजवा को गले लगाने के बारे में पूछे जाने पर सिद्धू ने यहां पत्रकारों से कहा, ‘‘अगर कोई (पाक सेना प्रमुख) मेरे पास आता है और कहता है कि हमारी संस्कृति एक है और हम पहले सिख गुरू, गुरू नानक देव की 550वीं जयंती पर पाकिस्तान में गुरूद्वारा करतारपुर साहिब का मार्ग खोलेंगे तो मैं क्या कर सकता था?’’
इमरान खान के शपथ ग्रहण समारोह में पहली पंक्ति में पीओके प्रमुख के बगल में बैठने के मुद्दे पर कांग्रेस नेता ने जवाब दिया, ‘‘अगर आपको कहीं सम्मान स्वरूप अतिथि के तौर पर आमंत्रित किया जाता है तो आप वहीं बैठते हो जहां आपको कहा जाता है। मैं कहीं ओर बैठ सकता था लेकिन उन्होंने मुझे वहां बैठने के लिए कहा।’’
पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तानी सेना प्रमुख को गले लगाने के लिए आज अपने मंत्रिमंडल के सहयोगी पर निशाना साधते हुए उनके कृत्य को ‘‘गलत’’ बताया जबकि भाजपा समेत विपक्षी दलों ने भी सिद्धू की आलोचना की। इस बीच, ‘‘पगड़ी संभाल जट्टा’’ नाम के एक संगठन के कुछ कार्यकर्ताओं ने उस समय सीमा के नजदीक प्रदर्शन किया जब सिद्धू पाकिस्तान से लौटे। कार्यकर्ताओं ने सिद्धू के खिलाफ नारेबाजी की तथा उन्हें काले झंडे भी दिखाए।
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