पटना: बिहार में एक मरीज को कोरोना वायरस की जांच का नतीजा आए बगैर डिस्चार्ज करने का मामला सामने आया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, पटना के IGIMS अस्पताल ने लीवर का इलाज कराने आए छपरा के एक मरीज का कोरोना वायरस के संक्रमण का टेस्ट किया गया था, लेकिन रिपोर्ट आने के पहले ही उसे डिस्चार्ज कर दिया गया। मरीज के घर चले जाने के बाद जब उसकी कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो हंगामा मच गया और उसको ढूंढ़ा जाने लगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, छपरा का वह मरीज 9 अप्रैल को लीवर में सूजन के कारण पटना के IGIMS अस्पताल में भर्ती हुआ था। इलाज के बाद उसे 2 दिन पहले डिस्चार्ज कर दिया गया, लेकिन उसके पहले कोरोना वायरस की जांच के लिए उसका सैंपल भेज दिया गया था। शुक्रवार की शाम जब उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई, तो छपरा में स्थित उसके घर पर संपर्क किया गया। इसके बाद मरीज और उसकी बहू को पटना के कोरोना स्पेशल अस्पताल एनएमसीएच भेजा गया।
मरीज के संपर्क में आये 22 लोगो को छपरा के अस्पताल में कोरेण्टाइन किया गया है। मरीज के घर के 3 किमी के दायरे को सील कर दिया गया है। वहीं, एक अधिकारी ने कहा कि यह IGMS की लापरवाही ही है कि कोरोना संदिग्ध को छुट्टी दे दी गई। अस्पताल का कहना है कि उस मरीज ने दूसरे शिफ्ट में आए स्टाफ से टेस्ट के लिये सैंपल लिए जाने की जानकारी छुपाई और घर जाने का लगातार दवाब बनाता रहा। इस मामले के सामने आने के बाद IGIMS के 3 डॉक्टर सहित 25 मेडिकल स्टाफ को क्वॉरन्टीन में भेज दिया गया है।
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