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Hindi News भारत राष्ट्रीय बाढ़ पीड़ितों के लिए 'मसीहा' बने पूर्णिया के एसपी निशांत

बाढ़ पीड़ितों के लिए 'मसीहा' बने पूर्णिया के एसपी निशांत

बाढ़ प्रभावित बायसी के बेलगछी गांव के रामलखन का परिवार तो पुलिस अधीक्षक निशांत तिवारी का मुरीद बन गया है। रामलखन कहते हैं कि बाढ़ आने के बाद से गांव में राहत और बचाव कार्य नहीं पहुंच पाया था। किसी तरह उन्होंने इसकी जानकारी एसपी तक पहुंचाई।

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पूर्णिया: बिहार में इस बार बाढ़ ने भारी तबाही मचाई है। खासतौर पर बिहार के सीमांचल जिले अररिया और पूर्णिया में बाढ़ की स्थिति भयावह है। पांच नदियों से घिरे पूर्णिया में पिछले सात दिनों तक भारी तबाही मचाने के बाद अब हालांकि नदियों के जलस्तर में गिरावट आने लगी है, परंतु बाढ़ पीड़ितों तक सहायता पहुंचाना अब भी एक चुनौती है। वैसे इस राहत और बचाव कार्य में केंद्रीय एजेंसी से लेकर राज्य की एजेंसी तक जुटी हुई है। लेकिन इस राहत कार्य में चर्चित नाम पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक (एसपी) निशांत कुमार तिवारी का रहा है, जो इन बाढ़ पीड़ितों के बीच 24 घंटे उपलब्ध रह रहे हैं। जिले के सभी बाढ़ प्रभावित इलाकों में इनकी छवि एक मसीहा के तौर पर उभर कर आई है। ये भी पढ़ें: ओवैसी को हैदराबाद लोकसभा सीट पर हराने की योजना पर चल रहा है काम: BJP

बाढ़ प्रभावित बायसी के बेलगछी गांव के रामलखन का परिवार तो पुलिस अधीक्षक निशांत तिवारी का मुरीद बन गया है। रामलखन कहते हैं कि बाढ़ आने के बाद से गांव में राहत और बचाव कार्य नहीं पहुंच पाया था। किसी तरह उन्होंने इसकी जानकारी एसपी तक पहुंचाई।

उन्होंने कहा, "एसपी ने न केवल राहत और बचाव कार्य पहुंचाया, बल्कि वह खुद कमर भर पानी में गांव तक पहुंचे और राहत सामग्री पहुंचाई। वह बाढ़ पीडितों के लिए मसीहा बन गए हैं।"

वैसे, बेलगछी के केवल रामलखन ही ऐसे नहीं हैं, जिनके लिए इस दुख की घड़ी में एसपी निशांत मसीहा बने हों, कई लोग आज निशांत की प्रशंसा कर रहे हैं।

पूर्णिया में बाढ़ के दौरान राहत कार्य में मुस्तैद इस पुलिस अधिकारी की चर्चा हर जगह हो रही है। पूर्णिया के एसपी 12 अगस्त से प्रतिदिन बाढ़ पीड़ितों के लिए बने राहत शिविरों में पहुंच कर बाढ़ पीड़ितों को हर संभव सहायता पहुंचा रहे हैं। वह न सिर्फ शिविरों में पीड़ितों के लिए बन रहे खाने की गुणवत्ता का निरीक्षण कर रहे हैं, बल्कि बाढ़ से पीड़ित लोगों के साथ खाना खाकर उनका मनोबल एवं साहस भी बढ़ा रहे हैं।

पूर्णिया के जिलाधिकारी पी. क़े झा के साथ अपनी मोटरसाइकिल पर सवार होकर वह लगातार विभिन्न बाढ़ प्रभावित इलाकों में पहुंच रहे हैं। ऐसे अधिकारियों को लगातार अपने बीच पाकर पीड़ितों की पीड़ा तो कम तो हो ही रही है, विश्वास भी बढ़ रहा है।

लालबालू गांव के सुरेंद्र भी मानते हैं कि ऐसे अधिकारी के आने के बाद लगता है कि अब उन्हें किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने वाली। वैसे भी अधिकारियों के आने के बाद सुविधाएं भी खुद बढ़ जाती हैं।

निशांत ने रविवार को बाढ़ प्रभावित दुर्गम इलाकों का जायजा लिया था। उन्होंने बायसी में स्वास्थ्य केंद्रों का भी दौरा किया। जिलाधिकारी के साथ एसपी ने बाढ़ से टूट चुके पुल और सड़कों का भी जायजा लिया। राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम से भी मुलाकात की तथा राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने के लिए कड़े दिशा-निर्देश भी दिए।

सोशल मीडिया पर एसपी और जिलाधिकारी दोनों के ही कामों को लेकर काफी चर्चा हो रही है। लोग भी इनकी मेहनत और समर्पण की भावना से काफी खुश हैं और इनके काम के लिए दोनों अधिकारियों की प्रशंसा भी चारों ओर की जा रही है। वर्ष 2015 से पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे सामाजिक कार्यो में दिलचस्पी लेने वाले निशांत 'मेरी पाठशाला' भी लगाते हैं, जिसमें अन्य पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर वे खुद गरीब बच्चों को शिक्षा देते हैं।

गौरतलब है कि राज्य में बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए राज्य सरकार अभी 1358 राहत शिविर चला रही है, जिनमें करीब सवा चार लाख लोगों ने शरण ली है। साथ ही पांच जिलों में वायु सेना के हेलीकॉप्टर भी राशन गिरा रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, बाढ़ प्रभावित इलाकों से 7.21 लाख से ज्यादा लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। 2569 सामुदायिक रसोइयां खोली गई हैं, जिनमें बाढ़ पीड़ितों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई है।

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