नई दिल्ली: बिहार में रहस्यमयी चमकी-तेज बुखार से अब तक 56 बच्चों की जान चली गई है। खास तौर पर उत्तरी बिहार में इस जानलेवा बिमारी को लेकर हड़कंप मचा हुआ है। हालात इमरजेंसी जैसे बने हुए हैं। पक्के तौर पर अभी भी पता नहीं कि आखिर ये बीमारी क्या है। उत्तर बिहार के 6 जिलों- मुजफ्फरपुर, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली में रहस्यमय बुखार का कहर जारी है।
चमकी बुखार तो स्थानीय भाषा में लोग कहते हैं लेकिन लक्षण के आधार पर डॉक्टर्स इसे AES यानी एक्टूड इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम बता रहे हैं। 'चमकी' बुखार 5 से 15 साल के बच्चों को होता है जिसमें बच्चे को तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होती है और हाइपोग्लाइसीमिया की दिक्कत हो जाती है। हाइपोग्लाइसीमिया यानी शरीर में ग्लूकोज़ का लेवल गिर जाता है। शुगर लेवल कम होने से बच्चों की मौत हो जाती है। कई बच्चों में सोडियम की मात्रा भी बेहद कम हो जाती है।
मुख्यमंत्री भी इस बात को लेकर चिंतित हैं। वो खुद कह रहे हैं कि इस मामले में जागरूकता की कमी है। मुजफ्फरपुर में ही पिछले 24 घंटे में अस्पतालों में भर्ती कराये गये 5 बच्चों की मौत हो गयी है। 23 नए बच्चों को मंगलवार को दोनों अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ. शैलेश प्रसाद ने बताया कि 124 बच्चों का इलाज चल रहा है।
मुजफ्फरपुर के जिलाधिकारी आलोक रंजन घोष ने स्वास्थ्य विभाग के वरीय पदाधिकारियों के साथ-साथ सभी प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारियों को अल्टीमेटम देते हुए मंगलवार को कहा कि बच्चों के इलाज में किसी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि इलाज को लेकर तत्परता के साथ ही जमीनी स्तर पर आम आवाम को जागरूक करने का कार्य भी करें।
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