कोरोना और Lockdown से लेकर सुशांत और किसान आंदोलन तक, 2020 में इन खबरों ने बटोरी सबसे ज्यादा सुर्खियां
साल 2020 में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) ने हमारे देश में न सिर्फ 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया बल्कि करीब 1.5 लाख लोगों की जान भी ले ली। इस वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था (Economy) को भारी झटका भी लगा। लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से हजारों लोक बेरोजगार (Unemployment) हो गए।
नई दिल्ली. साल 2020 अपने अंतिम पड़ाव पर है। कुछ ही घंटों बाद नए साल 2021 (New Year 2021) का आगमन होगा। साल 2021 की पहली सुबह एक नया सवेरा लेकर आएगी, ऐसी पूरे भारतवर्ष को उम्मीद है। साल 2020 में कोरोना संक्रमण (Coronavirus) ने हमारे देश में न सिर्फ 1 करोड़ से ज्यादा लोगों को संक्रमित कर दिया बल्कि करीब 1.5 लाख लोगों की जान भी ले ली। इस वायरस की वजह से अर्थव्यवस्था (Economy) को भारी झटका भी लगा। लॉकडाउन (Lockdown) की वजह से हजारों लोक बेरोजगार (Unemployment) हो गए। इसके अलावा भी कई मुद्दों ने इस लंबे समय तक सुर्खियों बटोरीं। आइए आपको बतातें हैं जनवरी की शुरुआत में हुए नमस्ते ट्रंप (Namaste Trump) कार्यक्रम से लेकर दिसंबर के अंत में जारी किसान आंदोलन (Kisan Andolan) तक उन सभी घटनाओं के बारे में जिन्हें सबसे ज्यादा पढ़ा गया।
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नमस्ते ट्रंप
फरवरी 2020 में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने परिवार के साथ भारत यात्रा पर आए। उनके स्वागत में गुजरात में भव्य नमस्ते ट्रंप कार्यक्रम का आयोजन किया गया। ट्रंप के स्वागत में हवाई अड्डे से लेकर मोटेरा स्टेडियम तक हजारों की संख्या में सड़क पर खड़ें लोगों ने उनका स्वागत किया। अहमदाबाद के मोटेरा स्टेडियम में पीएम नरेंद्र मोदी और अमेरिका राष्ट्रपति ने लोगों को संबोधित किया। अमेरिका राष्ट्रपति अपनी भारत यात्रा के दौरान आगरा भी गए, यहां उन्होंने ताज महल का दीदार किया। हालांकि ट्रंप के इस भारत यात्रा पर कई सवाल भी खड़े किए गए।
दिल्ली दंगे
एक तरफ जहां अमेरिका के राष्ट्रपति अपनी भारत यात्रा पर आए थे, वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के एक कोने में दंगे भड़क उठे। डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान उत्तर पूर्वी दिल्ली में 24 फरवरी को शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा में कम से कम 53 लोगों की मौत हो गई थी और लगभग 200 लोग घायल हो गये थे। दिल्ली में हुए इन दंगों ने विदेशों में भी सुर्खियां बटोरीं। जिस समय उत्तर पूर्वी दिल्ली में दंगा शुरू हुआ, दिल्ली के एक अन्य इलाके शाहीन बाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन चल रहा था। इसी प्रदर्शन की तर्ज पर उत्तर पूर्वी दिल्ली में जाफराबाद मेट्रो के नीचे प्रदर्शन शुरू हुआ, जिसके बाद दो समुदायों में हिंसक झड़पें शुरू हो गई।
कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन
साल 2019 में चीन से शुरू हुए कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में ड्रैगन को दुनिया को अंधेरा में रखा। जिसकी वजह से ये महामारी धीरे-धीरे पूरी दुनिया में फैल गई। अमेरिका और यूरोप में कोरोना संक्रमण ने भारी तांडव मचाया। विदेशों में मचे हाहाकार से भारत सरकार पहले से ही सचेत हो गई। कोरोना का प्रसार तेज होने से पहले ही भारत में पहले जनता कर्फ्यू लगाया गया और पहली बार 21 दिन के लिए लॉकडाउन लगाया गया। इस दौरान भारत में सभी सरकारों ने अपना पूरा दम इस वायरस के खिलाफ लगा दिया और सभी जरूरी व्यवस्थआओं का बंदोबस्त किया।
तेजी से फैलते कोरोना संक्रमण के मद्देनजर सरकार ने न सिर्फ लोगों के बीच जागरुकता फैलाई बल्कि लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाया भी। हालांकि बाद में धीरे-धीरे लॉकडाउन को हटाया गया। अबतक कोरोना संक्रमण भारत में करीब 1.5 लाख लोगों की जान ले चुका है और 1 करोड़ से ज्यादा लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं। अच्छी बात ये हैं कि 98 लाख से ज्यादा लोगों ने इस संक्रमण को मात देने में सफलता पाई।
पटरी से उतरी अर्थव्यवस्था, बेरोजगारी बढ़ी
कोरोना को देखते हुए लगाए गए लॉकडाउन से अचानक पूरा देश बंद हो गया। लॉकडाउन को देखते हुए लाखों की तादाद में लोग अपने घरों को पैदल ही वापस जाने लगे, जिसको लेकर सरकार की जमकर किरकिरी हुई। बाद में विभिन्न राज्य सरकारों ने बसों के माध्यम से अपने लोगों के लौटने की व्यवस्था की। केंद्र सरकार ने भी प्रवासियों की वापसी के लिए स्पेशल ट्रेनों का इंतजाम किया। हालांकि इस दौरान कई कंपनियां बंद हो गईं और बढ़ी संख्या में लोग भी बेरोजगार भी हो गए। अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से सरकार की तरफ से विशेष पैकजों की ऐलान किया गया।
सुशांत सिंह राजपूत की मौत
कोरोना काल में जून के महीने में बॉलीवुड से आई एक खबर ने सबके होश उड़ा दिए। बेहद कम उम्र में एक बड़ा मुकाम हासिल कर चुके 34 साल के सुशांत सिंह राजपूत 14 जून को बांद्रा में अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए। सुशांत की मौत के बाद बॉलीवुड में दो फाड़ हो गए। लोगों ने उनकी खुदकुशी को लेकर सवाल खड़े किए। बॉलीवुड के एक धड़े ने बॉलीवुड में भाई-भतीजावाद और गुटबाजी के आरोप लगाए। इस मामले में अभी सीबीआई जांच जारी है।
चक्रवातों ने भी मचाया तांडव
इस साल बंगाल की खाड़ी या अरब सागर से पैदा हुए पांच चक्रवाती तूफानों में से चार तूफान भीषण या इससे अधिक गंभीर श्रेणी के थे। इनमें ‘अम्फान’ भी शामिल है जो प्रचंड तूफान में तब्दील हो गया था। मॉनसून से पहले की अवधि में अरब सागर में और मॉनसून के बाद अक्टूबर से दिसंबर के दौरान बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफानों का बनना असामान्य नहीं है। इस साल का पहला चक्रवाती तूफान ‘अम्फान’ था। मई के महीने में बंगाल की खाड़ी से पैदा हुआ यह तूफान प्रचंड तूफान में बदल गया था।
इसके एक पखवाड़े के भीतर अरब सागर में एक तूफान ने आकार लिया और भीषण तूफान की शक्ल ले ली। इसे ‘निसर्ग’ नाम दिया गया। यह मुंबई के पास अलीबाग में समुद्र तट से टकराया और इससे केरल में एक जून को सामान्य रूप से मॉनसून के आने में मदद मिली। इनके अलावा तीन तूफान पिछले एक महीने में बने थे इनमें दो बंगाल की खाड़ी में और एक अरब सागर में जन्मा। इनमें ‘गति’, ‘निवार’ और ‘बुरेवी’ हैं।
लद्दाख में LAC पर विवाद
लद्दाख में LAC के नजदीक भारत और चीन के सुरक्षा बलों के बीच आपसी गतिरोध की खबरे आती रहती थी लेकिन इस बार भारत ने चीन को लद्दाख में ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया जिसकी चीन ने कल्पना भी नहीं की होगा। मई महीने में भारत के बीच में एलएसी पर शुरू हुआ गतिरोध जून के महीन में गलवान घाटी में हिंसक हो गई। 16 जून की रात दोनों सेनाओं के बीच हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 सैनिक शहीद हो गए, जबकि चीन के करीब 40 सैनिक मारे गए। हालांकि चीन ने अपनी सेना के मृतकों के आंकड़े को अबतक सार्वजनिक नहीं किया। जानकारों का मानना है कि चीन ने ऐसा इसलिए किया ताकि PLA का मनोबल न टूट जाए। गलवान में हुई हिंसक झड़प के बाद भारत में विरोध प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया। भारत सरकार ने भी कई चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया दिया। कई राज्य सरकारों ने चीनी कंपनियों को दिए गए टेंडर वापस ले लिए। चीन के साथ ये विवाद अभी भी जारी है।
धोनी का रिटारयमेंट
दो बार के विश्व कप विजेता भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने 15 अगस्त को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहकर उनके भविष्य को लेकर लग रही अटकलों पर विराम लगा दिया। गैर पारंपरिक शैली में कप्तानी और मैच को अंजाम तक ले जाने की कला के साथ महानतम क्रिकेटरों की जमात में खुद को शामिल करने वाले धोनी के इस फैसले के साथ ही क्रिकेट के एक युग का भी अंत हो गया। धोनी ने अपने इंस्टाग्राम पर लिखा, "अब तक आपके प्यार और सहयोग के लिये धन्यवाद। शाम सात बजकर 29 मिनट से मुझे रिटायर्ड समझिए।"
विकास दुबे-बिकरू कांड
उत्तर प्रदेश का कानपुर जिला जुलाई की शुरुआत में अचानक ही सुर्खियों में आ गया। दरअसल कानपुर के चौबेपुर क्षेत्र के बिकरू गांव में तीन जुलाई की मध्यरात्रि को मुठभेड़ के दौरान दुबे और उसके साथियों ने डीएसपी देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी थी। पुलिस दुबे को गिरफ्तार करने बिकरू गांव गई थई। वारदात के बाद दुबे फरार हो गया था और उसपर पांच लाख का इनाम घोषित किया गया था। दुबे को नौ जुलाई को मध्य प्रदेश के उज्जैन से गिरफ्तार किया गया। पुलिस ने बताया था कि 10 जुलाई को पुलिस उसे उज्जैन से कानपुर ले जा रही थी लेकिन रास्ते में वाहन दुर्घटनाग्रस्त हो गया और इसका फायदा उठाकर दुबे ने भौंती क्षेत्र से भगाने की कोशिश की, जिसके बाद मुठभेड़ में पुलिस ने उसे मार गिराया।
विदेश में हुआ IPL का आयोजन
कोरोना संक्रमण की वजह से जहां पूरे देश में लॉकडाउन लागू हो गया था, ऐसे हालातों में IPL का आयोजन देश से बाहर यूएई में किया गया। कोविड-19 महामारी के कारण संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में 19 सितंबर से 10 नवंबर के बीचे खेले गए आईपीएल के 13वें संस्करण की दर्शकसंख्या में पिछले संस्करण के मुकाबले रिकॉर्ड 28 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने को मिली। स्टेडियम में दर्शकों के बिना खेले गए इस टूर्नामेंट में मुंबई इंडियन्स की टीम विजेता बनकर उभरी।
किसान आंदोलन अबतक जारी...
आज जब साल का आखिरी दिन है, देश की राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन अब भी जारी है। किसानों संगठनों का ये आंदोलन केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानूनों के विरोध में लागू है। पंजाब में रेट पटरियों से शुरू हुआ ये आंदोलन नंवबर के आखिरी में दिल्ली की सीमाओं पर पहुंच गया। किसान संगठन लगातार तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हुए हैं। अब सरकार और किसानों के बीच अगली वार्ता 4 जनवरी को होनी है। गौर करने वाली बात ये रही कि इतने बड़े आंदोलन के बावजूद भी विपक्ष की भूमिका पर सवाल खड़े होते रहे। विपक्ष लाचार और कमजोर ही नजर आया।