कमलनाथ सरकार से हताश महिला अतिथि विद्वान ने कराया मुंडन, रोने लगीं धरने पर बैठी महिलाएं
भारतीय समाज और संस्कृति में महिलाओं का मुंडन बेहद दुखद और मार्मिक समझा जाता है लेकिन अगर यही महिलाएं अपना मुंडन सरकार की वादाखिलाफी के चलते कराएं तो राजनीति का शर्मनाक चेहरा सामने आता है।
भोपाल: भारतीय समाज और संस्कृति में महिलाओं का मुंडन बेहद दुखद और मार्मिक समझा जाता है लेकिन अगर यही महिलाएं अपना मुंडन सरकार की वादाखिलाफी के चलते कराएं तो राजनीति का शर्मनाक चेहरा सामने आता है। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पिछले 72 दिनों से सरकार को नियमितीकरण का वादा याद दिलाने के लिए धरने पर बैठे अतिथि शिक्षक ने तमाम रोती हुई महिलाओं के बीच अपना मुंडन कराया। इस दौरान 72 दिनों से धरने पर बैठी सभी महिलाओं की आंखें नम थी।
तस्वीरों में अपने बालों को मुंडाते हुई यह महिला और उसे देखकर रोती हुई तमाम महिलाओं का यह दृश्य राजा राममोहन राय के जमाने का नजर आ रहा होगा जब पति की मृत्यु के बाद महिलाओं का मुंडन किया जाता था। अब 21वीं शताब्दी है भारत में लोकतंत्र हैं और तस्वीरों में आज भी वैसा ही दृश्य है जब महिला समाज के दबाव में नहीं बल्कि सरकार की वादाखिलाफी के चलते मुंडन करवा रही है।
मध्य प्रदेश की सियासी जमीन पर 15 सालों से बेघर रही कांग्रेस। मौका था विधानसभा चुनाव का चाहिए थे वोट उन सब से जो नाराज थे भाजपा की सरकार से। ऐसे में कांग्रेस ने और उस वक्त के अध्यक्ष कमलनाथ ने मध्य प्रदेश के सरकारी कॉलेजों में पढ़ाने वाले अतिथि विद्वानों को वादा किया सरकार में आएंगे तब नौकरी को नियमित किया जाएगा। ऐसे में चुनाव के दौरान अतिथि विद्वानों ने उनके परिवार और समर्थकों ने जमकर कांग्रेस के पक्ष में वोट किया। उम्मीद थी सरकार आएगी नियमित होंगे लेकिन सरकार भी आई, साल भर बीत गया पर नियमतिकरण नहीं हुआ बल्कि सरकार ने अतिथि विद्वानों को नौकरी से निकालना शुरू कर दिया। नतीजे में अतिथि विद्वान सरकार को वादा खिलाफी याद दिलाने के लिए 72 दिनों से भोपाल में बैठे रहे। जब सरकार को उनकी आवाज नहीं सुनाई दी तो महिला मुंडन के लिए मजबूर हो गई।
यह दृश्य देख तमाम अतिथि महिला विद्वान रोते नजर आई। इंडिया टीवी से बातचीत में अतिथि विद्वान महिलाओं ने कहा, ''हमने उम्मीद पर कांग्रेस को वोट दिया था कि सरकार में आएगी तो हम नियमित हो जाएंगे, हमारे घर की दाल रोटी चलेगी लेकिन कांग्रेस ने धोखा किया आइंदा हम कांग्रेस को वोट नहीं देंगे।''
दरअसल अतिथि विद्वान नियमतिकरण की मांग को लेकर 72 दिन से राजधानी भोपाल में धरने पर बैठे हैं। इनमें से कइयों ने अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी अपने साथ रखा है। इस ठंड में लगातार धरना देने से कइयों की तबियत खराब हो चुकी है। एक अतिथि विद्वान की जहां धरना स्थल से जाने के बाद मौत भी हो चुकी है। वहीं दो हफ्ते पहले छतरपुर के अतिथि शिक्षक संजय कुमार ने नियमतिकरण न होने के गम में आत्महत्या कर ली। संजय कुमार की पत्नी लालसा कुमारी ने बताया कि संजय बेहद चिंतित रहा करते थे कहते थे मैं नहीं रहूंगा तो परिवार का क्या होगा। नियमित ना होने के चलते उनकी नौकरी चली गई नतीजे में उन्होंने आत्महत्या कर ली अब हमारे तीन बच्चे कैसे पलेंगे।
इन अतिथि विद्वानों को कांग्रेस ने चुनाव के वक्त वचन दिया था कि सरकार बनने पर उन्हें नियमित किया जाएगा लेकिन साल भर बीत जाने के बाद भी उन्हें नियमित तो नहीं किया गया उल्टा 2700 अतिथि विद्वानों को फालेन आउट के नोटिस ज़रूर जारी कर दिए गए। अब अतिथि विद्वान नियमित करण संघ के अध्यक्ष देवराज कहते है कि हम मुंडन कराई महिला के बाल राहुल गांधी को भेजेंगे ताकि उनकी सरकार को वादा याद आए। वहीं, सरकार के प्रवक्ता पी सी शर्मा मानते है कि अतिथि विद्वान के लिए सरकार के प्रयास जारी है केबिनेट में बैठक हो चुकी है जल्द ही इनकी काउंसलिंग की जाएगी।
भाजपा के विधायक विश्वास सारंग इस मुद्दे पर कांग्रेस पर तंज कसते नजर आए। उन्होंने कहा महिलाओं के लिए केश त्यागना का मतलब है उसका सब कुछ खत्म हो गया अतिथि विद्वान का मुंडन पूरे प्रदेश की महिलाओं का अपमान है इसका खामियाजा सरकार को भुगतना होगा।