नई दिल्ली: भारत बायोटेक ने स्वदेशी रूप से विकसित कोविड-19 के टीके ‘कोवैक्सिन’ का आपातकालीन इस्तेमाल करने के लिए डीसीजीआई से मंजूरी मांगी है। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी। सूत्रों ने बताया कि भारत बायोटेक ने डीसीजीआई से कोविड-19 के टीके ‘कोवैक्सिन’ के इमरजेंसी इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन किया है।
गौरतलब है कि कोवैक्सिन कोविड-19 की संभावित वैक्सीन है, जिसका विकास भारत बायोटेक, भारतीय चिकित्सा शोध संस्थान (आईसीएमआर) के साथ मिलकर कर रही है। दवा कंपनी का कहना है कि वैक्सीन की दो खुराक लेनी जरूरी हैं और इसके असर का मूल्यांकन दोनों खुराक लेने के 14 दिन बाद किया जा सकता है।
हाल ही में जब कोवैक्सिन की पहली खुराक लेने के बाद भी हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज कोरोना वायरस से संक्रमित पाए तब भारत बायोटेक ने कहा था, ‘‘कोवैक्सिन का चिकित्सकीय परीक्षण दो खुराकों पर आधारित है, जो 28 दिनों के अंतराल पर दिए जाते हैं। वैक्सीन के असर का मूल्यांकन भी दूसरी खुराक दिए जाने के 14 दिनों बाद किया जा सकता है।’’
कंपनी ने सीधे विज का नाम लिए बिना कहा कि वैक्सीन को इस तरह तैयार किया गया है कि दूसरी खुराक लेने के 14 दिन बाद यह असर करती है। विज ने इसकी पहली खुराक 20 नवंबर को ली थी। उन्हें दूसरी खुराक देनी बाकी थी। भारत बायोटेक ने कहा कि वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण में 50 प्रतिशत लोगों को वैक्सीन दी जाएगी और शेष 50 प्रतिशत को प्लेसिबो दिया जाएगा।
कोवैक्सिन पूरी तरह भारत में विकसित कोविड-19 वैक्सीन है, और तीसरे चरण के तहत 25 स्थानों में 26,000 लोगों पर इसका परीक्षण किया जा रहा है। कंपनी ने कहा कि उसका मकसद पूरे देश में कोवैक्सिन के असर का पता लगाना है।
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