क्रूरता की ऐसी दास्तान जिस पर यकीन नहीं होता, जायदाद के लिए बेटे ने पिता की आंखें नोंची
लोग बार बार बुजुर्ग को जल्दी अस्पताल पहुंचाने की बात कर रहे थे और बुजुर्ग अपने जिस्म से अलग हुई आंख को तलाश रहा था। एक जिंदा इंसान की आंखें अपनी खूंनी अंगुलियों से नोचकर भागने की इस खौफनाक हकीकत से जब पर्दा उठा तो पूरे बेंगलुरु में सनसनी फैल गई।
नई दिल्ली: बेंगलुरु से क्रूरता की ऐसी दास्तान सामने आई है जिसपर यकीन करना मुश्किल है। खूनी पंजों की इस कहानी को सुनकर आपकी आंखें भर आएंगी। आलीशान मकान की चारदीवारी से एक लाचार चीख जब लोगों ने सुनी थी तो हर कोई सन्न रह गया। आसपास के लोग वहां पहुंचे तब एक बुजुर्ग को लहूलुहान पाया। उनकी आंखों से खून बह रहा था और पूरे कपड़े खून से सने थे। लोग बार बार बुजुर्ग को जल्दी अस्पताल पहुंचाने की बात कर रहे थे और बुजुर्ग अपने जिस्म से अलग हुई आंख को तलाश रहा था।
लोगों के घर में दाखिल होते ही इस बुजुर्ग की बेरहमी से आंखे निकाल लेने वाला शैतान भाग निकला। दर्द से तड़पता बुजुर्ग इशारे से अपनी आंख का हाल देखने के लिए कह रहा था और लोग शोर मचा रहे थे कि वो बर्बर, बेरहम इंसान घर में इतनी खौफनाक वारदात को अंजाम देकर भाग गया। एक जिंदा इंसान की आंखें अपनी खूंनी अंगुलियों से नोचकर भागने की इस खौफनाक हकीकत से जब पर्दा उठा तो पूरे बेंगलुरु में सनसनी फैल गई।
बेंगुलरू के जेपी नगर में बनी आलीशान कोठी में दर्द से कराहते इस बुजुर्ग का नाम परमेश्वर है। जेपी नगर के शाकंबरी नगर में परमेश्वर इस मकान के मालिक हैं। रिटायर्ड सरकारी मुलाजिम परमेश्वर ने ताउम्र पाई-पाई जोड़कर इस मकान को बड़े अरमानों के साथ बनाया था। 27 अगस्त को सुबह करीब साढ़े 11 बजे वो लड़का इस मकान में घुसा और परमेश्वर की ज़िंदगी पर तबाही बनकर टूट पड़ा। उसके बेटे ने आलीशान मकान के लिए परमेश्नर की आंखें बेदर्दी से निकाल ली।
जिस औलाद के लिए 65 साल के उस बुजुर्ग ने जाने कितनी दुआएं मांगी थी वही था इस क्रूर और बर्बर आंखफोड़वा कांड का मुख्य किरदार। पिता घर में अकेले थे और औलाद के खूनी पंजों ने बूढ़े बाप की आंखों पर ऐसा झपट्टा मारा कि सुनने वाले सिहर गए। परमेश्वर के मकान को उनका बेटा 39 साल का चेतन अभिषेक हथियाना चाहता था और इसे लेकर वो अपने पिता पर लगातार दवाब बना रहा था।
इस मकान को लेकर अभिषेक अक्सर अपने पिता से लड़ता झगड़ता था। दोनों बाप-बेटे के दरम्यान दिन में कई बार इस मकान को लेकर ही कहा सुनी हुआ करती थी। अभिषेक हर हाल में इस मकान को हथियाना चाहता था लेकिन परमेश्नवर की भी जिद्द थी कि वो मर जाएंगे लेकिन मकान कभी अपने बेटे अभिषेक के नाम नहीं करेंगे।
चेतन की अय्याशियां और हाई फाई लाइफ स्टाइल ने उसे गले तक कर्जे में डुबो रखा था। पिता ने इसी घर के नीचे अपनी जमा पूंजी में से उसे अगरबत्ती की एक फैक्ट्री तक खोलकर दी थी लेकिन अभिषेक का मन उसमें कभी नहीं लगा। वो हर रोज किसी न किसी बहाने से घर से बाहर चला जाता। दिन भर निठल्लों की तरह घूमता। नालायक बेटे की अय्याशियां परमेश्नर के लिए नासूर बनती जा रहीं थी। कई बार परमेश्वर ने अभिषेक को समझाया, कई बार फैक्ट्री को सही तरीके से चलाने के लिए उसमें और पैसे भी लगाए लेकिन न तो अभिषेक की आदतें बदलीं और न ही उसके शौक।
बेटे पर लगाम कसने के लिए परमेश्नवर ने और सख्ती दिखानी शुरू कर दी। पिता की सख्ती और रोक टोक से अभिषेक ने एक दिन वो फैसला किया जिसका तस्सवुर तक 65 साल के परमेश्वर ने कभी नहीं किया था। दिनदहाड़े अपने ही घर में अभिषेक ने अपने पिता की आंखे फोड़ डालीं। पिता की आंखें फोड़ने के बाद अभिषेक मौका-ए-वारदात से फरार हो गया।
उधर आनन फानन में परमेश्नर को एक ऑटो में बिठाकर अस्पताल ले जाया गया। परमेश्नवर की जान तो बच गई लेकिन अब वो जिंदगी में कभी देख नहीं पाएंगे। उधर जेपी नगर पुलिस ने आरोपी अभिषेक को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस हर एंगल से केस की कड़ियों को जोड़ने में लगी है लेकिन एक बेटे की बर्बर करतूत ने खाकी को भी सन्न कर दिया है।