नयी दिल्ली: उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में आज मृत मिले एक ही परिवार के 11 लोगों में शामिल दो नाबालिग लड़कों के एक दोस्त ने कहा कि उसने कल रात उन दोनों को क्रिकेट खेलते हुये देखा था। उनके मित्र जतिन ने कहा कि 15-15 साल के लड़के नौवीं कक्षा के छात्र थे। उसने कहा , ‘‘ मैंने उन्हें कल रात खेलते हुए देखा था। भवनेश अंकल उन्हें देखकर खुश हो रहे थे। यह विश्वास करना मुश्किल है कि वे अब हमारे बीच नहीं हैं। ’’ (18 जुलाई से शुरू होगा संसद का मानसून सत्र, विजय गोयल ने की सभापति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात )
11 सदस्यों के रहस्यमयी परिस्थितियों में मृत पाए जाने के मामले में बरामद किए गए हाथ से लिखे नोटों में कहा गया है कि ‘‘ मानव शरीर अस्थायी है और अपनी आंखें और मुंह बंद करके डर से उबरा जा सकता है। ’’ एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह नोट संकेत देते हैं कि इन मौतों में कोई ‘‘ धार्मिक या आध्यात्मिक पहलू ’’ है। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच की जाएगी कि क्या परिवार किसी तंत्र - मंत्र में शामिल था या वे किसी तांत्रिक के अनुयायी थे। पुलिस ने बताया कि 10 सदस्यों की आंखें और मुंह कपड़ों से बंधे हुए थे और उनके शव झूल रहे थे जबकि 77 साल की एक महिला फर्श पर मृत पाई गईं और उसकी आंखों और मुंह पर पट्टी नहीं बंधी थी। बच्चों के हाथ - पांव बंधे हुए थे। मकान की तलाशी के दौरान पुलिस को हाथ से लिखे कुछ नोट मिले जिसके बारे में उनका कहना है कि परिवार किसी धार्मिक कर्मकांड का पालन करता होगा।
संयुक्त पुलिस आयुक्त (अपराध) आलोक कुमार ने बताया , ‘‘ हमें हाथ से लिखे नोट मिले हैं जिनमें विस्तार से बताया गया है कि हाथ और पांव किस तरह बांधे जाएं और लगभग उसी तरह से 10 लोगों के शव बरामद किए गए। काफी लंबे नोट हैं और हम उनका अध्ययन कर रहे हैं। ’’ पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस दर्ज किया है लेकिन पुलिस को यह भी संदेह है कि यह आपसी सहमति से खुदकुशी करने का मामला भी हो सकता है। इस बीच , मृतकों के पड़ोसियों ने बताया कि वे काफी मददगार स्वभाव वाले थे। अमरीक सिंह नाम के एक पड़ोसी ने बताया कि परिवार द्वारा चलाई जाने वाली किराने की दुकान हर रोज सुबह छह बजे खुल जाती थी और तभी बंद होती थी जब गली में रहने वाले सारे लोग सोने चले जाते थे। आज जब सुबह सात बजे तक दुकान नहीं खुली तो सभी को हैरत हुई।
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