लालबत्ती का मोह नही छोड़ पाए माननीय, गाड़ी से हटी तो बंगले पर लगी
लेकिन कुछ विधायक और सांसद अभी भी इसका मोह नहीं छोड़ पा रहें हैं। ऐसे में मंत्रियों ने अपनी गाड़ियों से तो लालबत्ती हटा ली थी, पर कुछ अलग करने की चाह में उसी बत्ती को अपने बंगलो पर लगा लिया।..
नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कई कानून लाए गए हैं, ऐसे में वीवीआईपी कल्चर हटाने की कोशिश में भी कुछ महीनों पहले सांसद और विधायकों की गाड़ियों से लालबत्ती हटाने के आदेश दिए गए थे। लेकिन कुछ विधायक और सांसद अभी भी इसका मोह नहीं छोड़ पा रहें हैं। ऐसे में मंत्रियों ने अपनी गाड़ियों से तो लालबत्ती हटा ली थी, पर कुछ अलग करने की चाह में उसी बत्ती को अपने बंगलो पर लगा लिया। (कांग्रेस ने किया ऐलान, GST के लॉन्चिंग कार्यक्रम का बहिष्कार करेगी)
मोदी सरकार द्वारा 19 अप्रैल 2017 को कैबिनेट की बैठक में सभी गाड़ियों से लालबत्ती के हटाने को ले कर आदेश दिया गया था, जिसके चलते सभी गाड़ियों से यह हटा दी गयी थी। प्रदेश के वित्त मंत्री जयंत मलैया से ले कर महिला एवं विकास मंत्री अर्चना चिटनीस समेत कई अन्य मंत्रियों के बंगले पर भी यह लाल बत्ती लगी हुई है। इतना ही नहीं पशुपालन-मतस्य विकास मंत्री अंतर सिंह आर्य, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक कलयाण राज्यमंत्री ललिता यादव के बंगलो पर भी यह लालबत्ती देखने को मिली है।
इसके साथ ही चार इमली क्षेत्र में बंगला नंबर 74 समेत कई मंत्रियों ने अपने बंगले पर लोगो से खुद को अलग दिखाने के लिए यह लालबत्ती लगाई हैं। जो रात भर चमकती रहतीं हैं। कुछ मंत्री तो अपने पद से निर्वाचित होने के बाद भी इस के मोह से बाहर नहीं आ पा रहें हैं। (26/11 हमले की फंडिंग में 'पाक' समेत इन देशों का है हाथ!)
आमतौर पर कोई मंत्री बंगले में है या नही, इसकी पहचान या तो बंगले पर दिन के समय लहराते तिरंगे से होती है या फिर रात में उनके घरों पर चमकने वाली लालबत्ती से।
गृह विभाग के पूर्व सचिव एलके द्विवेदी का कहना है कि कोई अपने घर में किस रंग की लाइट लगाएगा इस पर कोई कानून नहीं हैं। कोई भी व्यक्ति किसी भी रंग की लाइट लगा सकता है। तो वहीं पूर्व आइपीएस अरण गुर्टू का ने कहा कि यह कानून बना कर प्रधानमंत्री ने यह दर्शाने की कोशिश की थी कि कानून सबके लिए बराबर है, लेकिन कानून के बाद लोगों ने लालबत्ती हटा तो ली पर इसने उनकी मानसिकता नहीं बदली। प्रदेश में हमेशा से राजशाही रही है यह उसी का असर है। (दिल्ली यूनिवर्सिटी: एडमिशन ना मिलने पर अभिभावकों ने किया हंगामा)