नई दिल्ली: आपने अब तक कई तरह के इनरवेअर पहने होंगे जिनमे से कुछ आपको अच्छे लगे होंगे तो कुछ नहीं। पर अब कपड़ों के जानकारों ने इनरवेअर के लिए आयुर्वेदिक कपड़े तैयार किए हैं। जी हां, इन कपड़ों की ख़ास बात ये है कि इन्हें हल्दी, नीम और अन्य भारतीय जड़ी-बूटियों में डुबोकर तैयार किया जा रहा है। दक्षिण भारत के बुटीक में तैयार हो रहा यह कपड़ा ब्रिटेन के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया और जापान के ऑनलाइन स्टोर तक अपनी जगह बना रहा है। ये भी पढ़ें: कैसे होता है भारत में राष्ट्रपति चुनाव, किसका है पलड़ा भारी, पढ़िए...
आपको बता दें की इस तरह के कपडे अब पूरी दुनिया में लोकप्रिय हो रहे हैं। साल 2006 में केरल के डायरेक्टरेट ऑफ हैंडलूम और गवर्नमेंट आयुर्वेद कॉलेज ने मिलकर ‘आयुर्वस्त्र’ लॉन्च किया था। अब कई विदेशी कंपनियां इस कपड़े को केरल के बलरामपुरम के कैराली एक्सपोर्ट से खरीद रहे हैं। यह हैंडलूम फर्म पहले आयुर्वस्त्र प्रॉजेक्ट में कपड़े रंगने का काम करती थी। अब वह इरोड और तिरुपुर में खुद कपड़ा तैयार कर रहे हैं।
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कैराली एक्सपोर्ट्स के टी कुमार ने कहा, ‘पहले सभी कपड़े नैचरल डाई से रंगे जाते थे। बाद में कैमिकल डाई का प्रयोग किया जाने लगा जो कपड़ा पहनने वाले और वातावरण के लिए काफी हानिकारक होता है। ऑस्ट्रेलिया के न्यू साउथ वेल्स की डिजायनर जूली लैंट्री ने 2014 में आयुर्वेदिक अंडरवेअर की एक रेंज सोलमेट इन्टीमेट्स लॉन्च किया था। उन्होंने बताया कि कपड़ा तिरुपुर में बनाया जाता है और फिर बेंगलुरू में अडवांस टेक्नॉलजी से इसके कपड़े तैयार किए जाते हैं। लैंट्री अभी महिलाओं के लिए ब्रा, पैंटी और टैंक टॉप बनाती हैं जो काफी महंगे दामों में ऑनलाइन बिकते हैं। हालांकि डॉक्टर आयुर्वेदिक कपड़ों के गुणों के बारे में पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।
जापान में सचिको बेतसुमेई की आयुर्वेदिक ‘हारामकी’ (एक तरह का अंडरवेअर) लोगों के बीच में तेजी से पॉप्युलर हो रहा है। इस अरोमाथेरपिस्ट ने केरल में 2014 में कोवलम की एक कपड़े की दुकान में इस तरह के आयुर्वेदिक कपड़े का पता लगाया था जिसके बाद उन्होंने इसका एक ऑनलाइन स्टोर लॉन्च कर दिया। बेतसुमेई ने कहा, ‘सभी प्रॉडक्ट (मोजे, पैंटी और ब्रा) जैविक कॉटन के बने हैं जिसे सप्पन वुड, हल्दी, तुलसी, त्रिफला जैसी आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों में डुबो कर रखा गया है।
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