अयोध्या: मान गए मुसलमान, 2018 में शुरू होगा 'राम मंदिर' का निर्माण?
मुलाकात के दौरान शिया वक़्फ़ बोर्ड ने श्री श्री रविशंकर से कहा कि श्रीराम मन्दिर रामजन्म भूमि पर ही बनना चाहिए। वक्फ बोर्ड कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे सभी महंतों और पक्षों से मिल चुका है और सभी श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए बातचीत को तैयार हैं। शिया वक़्फ़ बोर
नई दिल्ली: बेंगलुरु में ऑर्ट ऑफ लिविंग के श्री श्री रविंशकर ने राम मंदिर मसले को बातचीत के जरिए सुलझाने के क्रम में मंगलवार को सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिज़वी मुलाकात की। दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई जिसके बाद रिजवी ने कहा कि अयोध्या में राम जन्मभूमि पर ही मंदिर बनेगा और 2018 में मंदिर का निर्माण शुरू होगा। इसके साथ ही वसीम रिजवी ने ये भी कहा कि जो लोग मंदिर निर्माण का विरोध कर रहे हैं, वो कामयाब नहीं होंगे। वसीम रिज़वी ने शिया वक्फ वोर्ड को ही केस में असली पार्टी बताया और कहा कि फैसला लेने का हक़ सुन्नी वक्फ बोर्ड को नहीं है।
मुलाकात के दौरान शिया वक़्फ़ बोर्ड ने श्री श्री रविशंकर से कहा कि श्रीराम मन्दिर रामजन्म भूमि पर ही बनना चाहिए। वक्फ बोर्ड कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे सभी महंतों और पक्षों से मिल चुका है और सभी श्रीराम मन्दिर निर्माण के लिए बातचीत को तैयार हैं। शिया वक़्फ़ बोर्ड आपसी समझौते के रास्ते तैयार कर रहा है। शिया वक़्फ़ बोर्ड नही चाहता कि अब श्रीराम जन्मभूमि पर कोई नई मस्जिद बने, मस्जिद किसी मुस्लिम आबादी में ही बनाई जाए। अयोध्या में जितनी मस्जिदें हैं वो वहाँ के मुसलमानो के लिए काफी हैं। वहां नई मस्जिद की अब कोई ज़रूरत नही है।
शिया वक्फ बोर्ड का कहना है कि विवादित जगह पर मस्जिद बनाने की शर्त रखने वाले विवाद को बनाए रखने की साज़िश कर रहे हैं। दरअसल, फिलहाल ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है और कोर्ट ने सुझाव दिया है कि केस से जुड़े सारे पक्ष आपस में मिलकर कोर्ट के बाहर कोई रास्ता निकालें। इस सुझाव से पहले और बाद में कई बार बातचीत की कोशिश हुई, लेकिन ये पहला मौका है जब श्री श्री रविशंकर ने मंदिर निर्माण को लेकर पहल की है। शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या में भले ही राम मंदिर निर्माण के लिए तैयार दिख रहा हो लेकिन इस मामले में दूसरे पक्षों की राय भी जरुरी है।
राम मंदिर विवाद को कोर्ट के बाहर आपसी सहमति से सुलझाने में जुटे श्रीश्री रविंशकर को तब तक कामयाबी नहीं मिल सकती जब तक कि इस मुद्दे से जुड़े तमाम पक्षों की एक राय न हो। अभी शिया वक्फ बोर्ड अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भले ही तैयार दिख रहा है लेकिन इस मामले में दूसरे पक्षों की राय भी उतनी ही जरुरी है। सुन्नी वक्फ बोर्ड ही राम मंदिर निर्माण के खिलाफ में खड़ा है। बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी को भी इस कोशिश से कोई उम्मीद नहीं हैं।
सिर्फ मुस्लिम पक्ष ही नहीं, राम जन्मभूमि न्यास ने भी श्री श्री रविशंकर की मध्यस्थता पर सवाल खड़े किए हैं। न्यास के राम विलास बेदांती ने कहा कि श्री श्री रविशंकर को पहले अयोध्या आकर रामलला का दर्शन करना चाहिए और इस मुद्दे पर बातचीत बेंगलुरू में नहीं अयोध्या में होनी चाहिए। जाहिर है श्रीश्री के लिए राह आसान नहीं है। आने वाले दिनों में वो अयोध्या के साधु-संतों और सुन्नी वक्फ बोर्ड से भी चर्चा करेंगे।