अयोध्या मामले की सुनवाई फिर टली, चौदह मार्च को होगी अगली सुनवाई
राम जन्मभूमि विवाद LIVE: नई दिल्ली: लम्बे समय से कोर्ट में चल रहे करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़े राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई फिर टल गई है। इस मामले में अब चौदह मार्च को अगली सुनावई होगी।
नई दिल्ली: लम्बे समय से कोर्ट में चल रहे करोड़ों हिन्दुओं की आस्था से जुड़े राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई फिर टल गई है। इस मामले में अब चौदह मार्च को अगली सुनावई होगी। आज दोपहर दो बजे तीन जजों की बेंच ने पांच सौ साल पुराने इस मामले की सुनवाई शुरु की। माना जा रहा था कि इस बार ये सुनवाई देश के सबसे बड़े धार्मिक और राजनीतिक रूप से संवेदनशील विवाद की फाइनल सुनवाई हो सकती है। पिछली हियरिंग में सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि अब किसी भी कीमत पर सुनवाई टाली नहीं जाएगी। ऐसे में उम्मीद की जा रही थी कि इस बार राम मंदिर विवाद पर ये आखिरी सुनवाई हो। वैसे ये देश का इकलौता ऐसा मुद्दा है जिस पर हर चुनावी मौंसम में सियासत होती है। 5 दिसंबर को हुई सुनवाई में मुस्लिम पक्षकार के वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि मामले की सुनवाई के लिए हड़बड़ी ठीक नहीं है। उनके मुताबिक मुद्दा धार्मिक होने के साथ-साथ राजनीतिक भी है और इस फैसले का असर दूरगामी हो सकता है इसलिए सुनवाई जुलाई 2019 के बाद होनी चाहिए।
LIVE अपडेट्स
-विवादित जगह पर मंदिर-मस्जिद की जगह अस्पताल बनाने की याचिका खारिज
-कुछ वकीलों ने कोर्ट से समय मांगा और कहा कि हमें पास अनुवादित कॉपी नहीं मिली
-इस वक्त श्री श्री रविशंकर मुस्लिम नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। ये मुलाकात बेंगलुरू के एक मुस्लिम व्यापारी के घर पर चल रही है
-सुप्रीम कोर्ट के जज ने कहा कि भावनात्मक और राजनीतिक दलीलों को नहीं सुना जाएगा, ये एक लीगल केस है
-एक पक्ष ने कहा है कि सौ करोड़ हिंदुओं की भावना का कोर्ट ख्याल रखे जिसके बाद कोर्ट ने ये टिप्पणी की
-13 हजार पन्नों के जो दस्तावेज कोर्ट में पेश किए गए इसमें गीता और रामायण की किताबें भी पेश की गई
-मुस्लिम पक्ष की ओर से एजाज मकबूल पक्ष पेश कर रहे हैं
-सुप्रीम कोर्ट ने कहा, राम मंदिर विवाद में किसी नए पक्ष को जुड़ने की इजाजत नहीं। यानी कोई नई याचिका मंजूर नहीं होगी
-इस केस से जुड़े मृत लोगों के नाम सुप्रीम कोर्ट ने हटाए
-सुप्रीम कोर्ट ने गीता और रामायण के अंशों को अनुवाद करने के लिए कहा है
-सुप्रीम कोर्ट ने 2 हफ्ते में केस से जुड़े वीडियो कैसेट देने को कहा
-राम मंदिर केस की सुनवाई फिर टल सकती है, 7 मार्च की नई तारीख का जिक्र
मुकदमे में राममंदिर
-1 फरवरी, 1986-फैजाबाद जिला जज से हिदुओं को पूजा की इजाजत
-9 नवंबर 1989-राजीव सरकार से मस्जिद के पास शिलान्यास की मंजूरी
-6 दिसंबर 1992-कारसेवकों ने ढांचा गिराया, अस्थाई राम मंदिर बनाया
-मार्च, 2003-भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने अयोध्या में खुदाई की
-मार्च, 2003-पुरातत्व सर्वेक्षण में मस्जिद से मंदिर के अवशेष मिले
-30 सितंबर, 2010-HC का जमीन को 3 हिस्सों में बांटने का आदेश
-9 मई, 2011-सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर स्टे लगाया
-21 मार्च, 2017-सुप्रीम कोर्ट ने विवाद बातचीत से सुलझाने को कहा
-11 अगस्त, 2017-3 जजों की स्पेशल बेंच ने मामले की सुनवाई की
-11 अगस्त 2017-90,000 पन्नों के अनुवाद के आदेश दिए
-5 दिसंबर, 2017-मुस्लिम पक्ष ने सुनवाई 2019 तक टालने की मांग की
-8 फरवरी, 2017-आज फिर सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मुद्दे पर सुनवाई
इलाहाबाद HC के फैसले में क्या?
-30 सितंबर 2010 को लखनऊ बेंच का फैसला
-2.77 एकड़ जमीन 3 पक्षों में बराबर बांटने के आदेश
-रामलला विराजमान को मूर्ति वाली जगह दी
-निर्मोही अखाड़ा को 1/3 हिस्सा दिया
-राम चबूतरा, सीता रसोई वाली जगह निर्मोही अखाड़ा को मिला
-सुन्नी वक्फ बोर्ड को बाकी बचे जमीन का 1/3 हिस्सा दिया
500 साल का धर्मसंकट
-1528-मीर बाकी ने अयोध्या में बाबरी मस्जिद बनवाया
-1853-मंदिर-मस्जिद पर हिंदू-मुसलमानों में पहली हिंसा
-1859-हिंदू-मुसलमान को अलग-अलग प्रार्थना की इजाजत
-1885-महंत रघुबर दास ने फैजाबाद कोर्ट में याचिका दी
-1885-मस्जिद से सटे राम मंदिर निर्माण के लिए याचिका
-1949-मस्जिद से मूर्तियां मिलीं, मूर्तियां रखने का आरोप
-1950-गोपाल विशारद ने रामलला की पूजा की इजाजत मांगी
-1950-महंत परमहंस रामचंद्र ने पूजा के लिए मुकदमा किया
-1959-निर्मोही अखाड़ा का जमीन हस्तांतरण की याचिका
-1961-सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मालिकाना हक का मुकदमा किया
-1986-विवादित जगह पर रामलला की पूजा की इजाजत मिली
-1992-कारसेवकों ने अयोध्या में विवादित ढांचा को गिरा दिया
वहीं रामजन्म भूमि ट्रस्ट और रामलला की तरफ से पेश वकील हरीश साल्वे ने कहा था कि अपील 7 साल से पेंडिंग है। इस बात का किसी को नहीं पता कि क्या फैसला होना है इसलिए मामले की सुनवाई होनी चाहिए। इससे पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विवाद को आपसी सहमति से कोर्ट के बाहर सुलझाने की सलाह दी थी। कोर्ट के इस सुझाव पर कोशिशें भी हुईं लेकिन सब नाकाम रहीं हैं। यह मामला पिछले 7 साल से लंबित है।
अयोध्या विवाद पर 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाइ हाईकोर्ट का फैसला आया था। फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को तीन हिस्सों में बांट दिया गया था। सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच एकृ-एक हिस्सा देने को कहा गया था लेकिन हाईकोर्ट का ये फैसले किसी भी पक्ष को मंजूर नहीं हुआ और एक-एक कर सभी पक्ष सुप्रीम कोर्ट में आ गए जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट की स्पेशल बेंच बनी। बेंच में चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के अलावा जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस अब्दुल नजीर हैं।
अब आज से शुरू होने वाली सुनवाई इन्हीं तीन जजों की अगुवाई में होगी। कोर्ट के निर्देश के मुताबिक सभी पक्षकारों के बीच दस्तावेजों का लेन-देन पूरा हो चुका है ऐसे में अब सुनवाई टलने की कोई तकनीकी वजह नहीं है। उम्मीद की जानी चाहिए कि इस बार की सुनवाई में ढाई दशक पुराने इस संवेदनशील मुकदमे पर जल्द फैसला आएगा।