नई दिल्ली: दक्षिण सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना का एक गश्ती दल हिमस्खलन की चपेट में आ गया। इस हादसे में सेना के दो जवानों की मौत हो गई जबकि बाकी जवानों को वहां से सुरक्षित निकाल लिया गया है। बताया जाता है कि सेना का गश्तीदल करीब 18 हजार फीट की ऊंचाई थी कि अचानक हिमस्खल शुरू हो गया और पूरा गश्ती दल इसकी चपेट में आ गया। खबर मिलते ही घटनास्थल पर रेस्क्यू टीम को भेजा गया साथ ही जवानों को वहां से निकालने के लिए हेलिकॉप्टर की मदद भी ली गई। हिमस्खलन में दो जवानों की मौत हो गई।
रक्षा प्रवक्ता कर्नल राजेश कालिया ने एक बयान में बताया कि सेना का गश्ती दल दक्षिणी सियाचिन ग्लेशियर में लगभग 18 हजार फुट की ऊंचाई पर गश्त कर रहा था। शनिवार तड़के यह हिमस्खलन की चपेट में आ गया। उन्होंने बताया कि हिमस्खलन बचाव दल (एआरटी) तुरंत वहां पहुंचा और टीम के सभी सदस्यों का पता लगाने और उन्हें बाहर निकालने में कामयाब रहा। इसके साथ ही जवानों को बचाने के लिए सेना के हेलीकॉप्टरों की भी सेवा ली गई। रक्षा प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हालांकि, चिकित्सा टीमों के सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद, सेना के दो कर्मियों की जान चली गई।’’
पिछले दो सप्ताह में सियाचिन में हिमस्खलन की यह दूसरी घटना है। इससे पहले 18 नवंबर को सियाचिन ग्लेशियर के उत्तरी हिस्से में हुए हिमस्खलन में भारतीय सेना के चार जवान और दो कुलियों की जान चली गई थी। कारकोरम रेंज में लगभग 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर को दुनिया में सर्वाधिक ऊंचाई वाला सैन्यीकृत क्षेत्र माना जाता है, जहां सैनिकों को शीतदंश और बेहद तेज हवाओं से जूझना पड़ता है। यहां प्राय: हिमस्खलन की घटनाएं होती रहती हैं। सर्दियों के दौरान ग्लेशियर का तापमान प्राय: शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक गिर जाता है।
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