नई दिल्ली: संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान भड़की हिंसा में शहीद हुए दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल रतन लाल के पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से ये खुलासा हुआ है कि सोमवार को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंसाग्रस्त इलाके में उनकी मौत पत्थर लगने से नही बल्कि गोली लगने से हुई थी। गोली रतन लाल के बाएं कंधे से प्रवेश कर दाहिने कंधे तक पहुंच गयी थी जिस वजह से उनकी मौत हुई। ये जानकारी पुलिस सूत्रों के हवाले से सामने आई है। उनका पोस्टमॉर्टम मंगलवार को ही शालीमार बाग के गुरु तेग बहादुर अस्पताल में संपन्न हुआ है।
गौरतलब है कि 42 साल के इस जाबांज पुलिस की दंगाइयों ने सोमवार दोपहर में दयालपुर थाने के पास तब हत्या कर दी थी, जब नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसा अपने चरम पर थी। सोमवार को यही कहा गया था कि शायद पत्थर लगने की वजह से रतन लाल की जान चली गई।
वो 1998 में दिल्ली पुलिस में शामिल हुए थे। परिवार में उनकी पत्नी पूनम और तीन बच्चे 13 साल की बेटी सिद्धी, 10 साल की कनक और 8 साल का बेटा राम बच गया। रिश्तेदारों के मुताबिक उनके जाने से उनका पूरा परिवार तहस-नहस हो गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रतन लाल की पत्नी को पत्र लिखकर अपना शोक संदेश भेजा और कहा कि पूरा देश इस दुख की घड़ी में बहादुर पुलिसकर्मी के परिवार के साथ है। लाल की पत्नी पूनम देवी को लिखे पत्र में शाह ने कहा कि उन्होंने कर्तव्य निभाते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है।
गृह मंत्री ने लिखा, ‘‘आपके बहादुर पति समर्पित पुलिसकर्मी थे जिन्होंने कठिन चुनौतियों का सामना किया। सच्चे सिपाही की तरह उन्होंने इस देश की सेवा के लिए सर्वोच्च कुर्बानी दी। मैं ईश्वर से आपको इस दुख और असमय क्षति को सहने की शक्ति प्रदान करने की प्रार्थना करता हूं।’’ शाह ने कहा कि इस दुख की घड़ी में पूरा देश आपके परिवार के साथ है।
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