नई दिल्ली: राम मंदिर को लेकर मोदी सरकार फ्रंट फुट पर आ गई है। बुधवार को सरकार के अटॉर्नी जनरल सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकते हैं और गैर विवादित भूमि से स्टे हटाने वाली याचिका की सुनवाई में तेजी की मांग कर सकते हैं। राम मंदिर पर सरकार के इस पासे ने भाजपा कार्यकर्ताओं में उत्साह भर दिया है और विरोधियों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। आपको बता दें कि सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में अयोध्या में विवादित जमीन को छोड़कर बाकी 67 एकड़ पर यथास्थिति के आदेश को वापस लेने की मांग की गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस केस में सरकार ने अदालत से कहा है कि जिस जमीन पर कोई विवाद नहीं है, वह जमीन सरकार उसके असली मालिकों को वापस करना चाहती है, इसलिए इस जमीन पर लगे स्टे ऑर्डर को हटाया जाए। सरकार के इस कदम से भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी भी खुश लग रहे हैं। सरकार के इस कदम पर स्वामी ने कहा कि आधा काम हो गया है और अगर सुप्रीम कोर्ट ने परमीशन दे दी तो मंदिर निर्माण का काम शुरू होने में कोई दिक्कत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की इजाजत के बाद ज्यादातर जमीन राम जन्मभूमि न्यास और वीएचपी को मिल सकती है।
आपको बता दें कि सरकार जिस 67 एकड़ जमीन को उसके मालिकों को वापस करने की बात कर रही है, उसमें से 42 एकड़ से ज्यादा जमीन श्री राम जन्मभूमि न्यास की है। इसके अलावा 19 एकड़ से ज्यादा जमीन निर्मोही अखाड़े और दूसरे मंदिरों की है। ऐसे में अब देश की नजरें सरकार के अगले कदम और सुप्रीम कोर्ट पर टिकी है।
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