जयंती विशेष: जब किसान आंदोलन में शामिल होकर किसानों के लिए जेल गए थे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी
किसान आंदोलन के चलते देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक यूपी के प्रयागराज की नैनी जेल में 5 दिन तक अटल बिहारी वाजपेयी बंद रहे थे।
नई दिल्ली। 25 दिसंबर 2020 को भारत रत्न से सम्मानित पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 96वीं जयंती मनाई जा रही है। लेकिन बहुत कम लोग जानते होंगे कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को किसानों के मुद्दे पर आवाज उठाने की खातिर जेल जाना पड़ा था। उस समय उन्हें किसान आंदोलन के चलते देश की सबसे सुरक्षित जेलों में से एक यूपी के प्रयागराज की नैनी जेल में रखा गया था, जहां 5 दिन तक अटल बिहारी वाजपेयी बंद रहे थे। आप भी जानिए आखिर उन दिनों में ऐसा क्या हुआ था कि किसान आंदोलन के चलते पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जेल जाना पड़ा था।
बंपर पैदावार से खुश थे किसान लेकिन...
दरअसल, बात 1973-1974 की है। उन दिनों में अटल बिहारी वाजपेयी की एक छवी थी कि वो आंदोलन के लिए जाने जाते थे। उस समय उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने वाले थे और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी और हेमवती नंदन बहुगुणा मुख्यमंत्री थे। लेकिन उससे पहले ऐसा क्या हुआ कि किसानों के आंदोलन में अटल बिहारी वाजपेयी शामिल हुए और उन्हें उसकी वजह से 5 दिन में नैनी जेल में काटने पड़े। 1973 में गेहूं की बंपर पैदावार हुई थी, किसान उस समय बहुत खुश थे कि उन्हें अच्छी कीमत मिलेगी लेकिन सरकार किसानों पर सरकारी मूल्य पर अनाज बेचने का दबाव बना रही थी, जिसको लेकर किसानों का गुस्सा सड़कों पर दिखने लगा था। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के नेता हुआ करते थे। देश भर में किसानों की आवाज बनकर अटल बिहारी वाजपेयी जनसंघ के मंच से सरकार का विरोध कर रहे थे। जनसंघ ने सरकार के खिलाफ देश भर में गेहूं की लेवी आंदोलन शुरु किया।
किसानों को सरकारी मूल्यों पर गेहूं बेचने के लिए किया जा रहा था मजबूर
सरकार किसानों को सरकारी दामों पर गेहूं बेचने को मजबूर कर रही थी, ये वो दौर था जब प्रदेश में फसल अच्छी हुई थी। कांग्रेस सरकार का आदेश था कि सभी किसानों को सरकारी मूल्यों पर गेहूं बेचना अनिवार्य है। किसानों के बाजारों में फसल बेचने पर लगभग पाबंदी लगाई जा चुकी थी। सरकार का कहना था किसानों के खेतों में अगर एक क्विंटल भी गेहूं पैदा हुआ है तो उसमें से किसान आधा सरकार को बेच दे। सरकार के इस आदेश पर किसान राजी नहीं थे और सरकारी आदेश का विरोध कर रहे थे। जनसंघ इसी मुद्दे पर किसानों के साथ सुर में सुर मिलाते हुए सड़क पर उतरी थी। किसानों के साथ सड़क पर उतरने के गुनाह में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया और वहां से अटल बिहारी वाजपेयी को देश की सबसे सुरक्षित जेलों में शुमार नैनी जेल लाया गया।
किसानों के लिए वाजपेयी ने उठाए कई बड़े कदम
किसान आंदोलन के चलते अटल बिहारी वाजपेयी समेत 500 लोगों को नैनी जेल की बैरक नंबर 5 में रखा गया। नैनी जेल में अटल बिहारी वाजपेयी 5 दिन तक बंद रहे और बाद में जमानत पर रिहा हुए। हालांकि, इसके बाद आपातकाल के दौरान भी वाजपेयी को जेल जाना पड़ा था। इसके बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी प्रधानमंत्री के पद पर बैठे तो अटल बिहारी वाजपेयी ने किसानों के हक में कई फैसले लिए। किसान क्रेडिट कार्ड की शुरुआत भी अटल बिहारी वाजपेयी ने ही की थी। किसानों के मुद्दों पर हमेशा मुखर रहने वाले अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद लगभग 19.6 प्रतिशत के आसपास गेंहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य में इजाफा किया था। इसके अलावा चीनी मिलों को लाइसेंस प्रणाली से मुक्त किया और राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना तैयार कराई। अटल जी की भाषण शैली और खासकर उनका रूक-रूक कर बोलना का अंदाज अनूठा था। वे अपने भाषण के दौरान जिस तरह शालीनता से अपने विरोधियों पर तंज कसते थे, उसे सुनकर कोई भी वाह किये बिना नहीं रह सकता था।